धर्म के आधार पर भेदभाव का यह इकलौता मामला नहीं है लेकिन इसमें जिस बहादुरी के साथ जीशान ने इस भेदभाव को दुनिया के सामने बेपर्दा किया, उससे इस तरह की नाइंसाफी के खिलाफ आवाज उठाने वालों को बल मिला है। अब गुजरात के वडोदरा शहर में मुसलमानों को हिंदू संभ्रात इलाकों में रहने से वंचित करने का मामला सहित अनेक मसले उठ रहे हैं।
देश भर में मचे हंगामे के बाद मुंबई पुलिस ने इस मामले में एफआईआर तो दर्ज कर ली है और लगता है कि इसे बहुत जल्द दबा देना मुश्किल होगा। इमाम काउंसिल ऑफ इंडिया के डॉ. मसूद अल हसन काजमी का कहना सही प्रतीत होता है कि अगर इस कंपनी की अदना कर्मचारी ने खुल कर मेल न लिखा होता तो शायद यह सच उजागर ही न होता। यह दरअसल हरि कृष्णा एक्सपोर्ट्स कंपनी की अघोषित नीति होगी, जिसे एचआर ने अनजाने में उजागर कर दिया। इस तरह की नीतियों की वजह से ही लाखों-लाख हुनरमंद मुस्लिम लड़कों को रोजगार नहीं मिल पाता।
जीशान को धर्म के आधार पर वंचित करने वाली कंपनी के मालिक सावीजी ढोलकिया ने इस बात से इनकार किया है कि मुसलमानों को नौकरी न देने की कोई नीति उनके यहां नहीं है। उन्होंने तो पूरे मामले में लीपापोती करने के लिए यह तक कह दिया कि वह जीशान को दोबारा इंटरव्यू के लिए बुला सकते हैं। इसे जीशान ने ठुकरा दिया और कहा कि वह पूरे प्रकरण से गहरे तक आहत है और उसे लगता है कि वह नौकरी करने का विचार ही छोड़ देगा। इस प्रकरण ने देश भर के नौजवानों को खासतौर से बहुत प्रभावित किया है। तीखी प्रतिक्रियाएं सोशल मीडिया पर भी सामने आई हैं। तभी अल्पसंख्यक मंत्रालय के राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी को भी कहना पड़ा कि किसी भी व्यक्ति को धर्म या जाति के आधार पर वंचित नहीं किया जा सकता। जीशान के साथ जो हुआ वह सही नहीं है।
दिल्ली में अपनी फर्म चला रहे जावेद खान का कहना है कि कमोबेश यही उनके साथ तकरीबन 10 साल पहले हुआ, जिसने उन्हें अंदर से तोड़ दिया। जावेद ने फिर बड़ी मुश्किलों से अपना कारोबार शुरू किया। रिहाइश के लिए उन्हें बहुत पापड़ बेलने पड़े। अच्छी कॉलोनियों में उन्हें किराये पर रहने के लिए मकान मिलने में दिक्कत हुई। मकान खरीदने के लिए भी।
इस मुद्दे पर छिड़ी बहस को अलग अंदाज से देखते हैं मुरादाबाद के सामाजिक कार्यकर्ता सलीम बेग। उनका कहना है कि इस तरह के तमाम मामले मीडिया में आने के बाद जरूर उन पर हाय-तौबा मचती है, लेकिन किसी भी मामले में इंसाफ नहीं मिलता। भेदभाव करने वालों को सजा मिले तो नजीर बने।
जीशान बहुत शांत स्वर में कहते हैं, अगर इस मसले से लोगों के सोचने का रवैया बदले तो बेहतर हो। मुझे यह जवाब चाहिए कि कंपनी की तरफ से आखिर ऐसा मेल आया तो आया कैसे। कितने लोगों का हक दबाया जा रहा है, आखिर क्यों। ये हालात बदलने चाहिए।
 
                                                 
                             
                                                 
                                                 
                                                 
			 
                     
                    