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जेएनयू छात्र संघ ने 17 दिन के बाद भूख हड़ताल समाप्त की, प्रमुख मांगें माने जाने का दावा किया

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (जेएनयूएसयू) ने अपनी मांगों को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन के...
जेएनयू छात्र संघ ने 17 दिन के बाद भूख हड़ताल समाप्त की, प्रमुख मांगें माने जाने का दावा किया

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (जेएनयूएसयू) ने अपनी मांगों को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ 17 दिन के विरोध-प्रदर्शन के बाद मंगलवार सुबह अपनी भूख हड़ताल समाप्त कर दी। छात्र संघ के अनुसार, सोमवार को जेएनयू प्रशासन द्वारा उनकी कई प्रमुख मांगों पर सहमति जताने और अन्य पर मौखिक आश्वासन दिए जाने के बाद भूख हड़ताल समाप्त कर दी गई।

जेएनयूएसयू ने एक बयान में कहा, ‘‘भूख हड़ताल करने वालों के बिगड़ते स्वास्थ्य के कारण, छात्र संघ ने भूख हड़ताल समाप्त करने का फैसला किया है। हालांकि, हमारा संघर्ष अभी खत्म नहीं हुआ है। विरोध का तरीका बदल गया है, लेकिन हमारी मांगों के लिए लड़ाई नए सिरे से दृढ़ संकल्प के साथ जारी है।’’

छात्र संगठन की अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल 11 अगस्त को शुरू हुई थी। उस समय इसमें 16 विद्यार्थी शामिल थे, लेकिन कई विद्यार्थियों का स्वास्थ्य बिगड़ने के बाद वे पीछे हट गए और अंत में जेएनयूएसयू अध्यक्ष धनंजय और काउंसलर नीतीश कुमार ही रह गए।

छात्रसंघ ने सोमवार को एक बयान में कहा, ‘‘धनंजय का वजन पांच किलोग्राम से अधिक घट गया है और उनका कीटोन स्तर चार प्लस है, जो संकेत देता है कि भूख हड़ताल के कारण उनके गुर्दों पर गंभीर असर पड़ा है। उन्हें पीलिया और मूत्रनली में संक्रमण भी हो गया है। नीतीश का वजन लगभग सात किलोग्राम कम हो गया है और वह बहुत कमजोर हो गए हैं, उन्हें जोड़ों और मांसपेशियों में गंभीर दर्द है।’’

बिरसा आंबेडकर फुले छात्र संघ (बीएपीएसए) से संबद्ध, जेएनयूएसयू की महासचिव प्रियांशी आर्य ने खुद को विरोध से अलग करते हुए आरोप लगाया कि संघ के वामपंथी सदस्यों ने लामबंदी के बारे में उनकी सहमति को नजरअंदाज कर दिया। संघ का दावा है कि जेएनयू प्रशासन ने अतिरिक्त धनराशि मिलने के बाद मेरिट-कम-मीन्स (एमसीएम) छात्रवृत्ति बढ़ाने, स्कूल ऑफ एजुकेशन (एसओई) और प्रबंधन के छात्रों को भी इन छात्रवृत्तियों के दायरे में लाने की प्रतिबद्धता जताई है।

प्रशासन ने इसके लिए विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को एक पत्र भी भेजा है, जिसमें वित्तीय सहायता में वृद्धि का अनुरोध किया गया है। बयान में कहा गया कि इसके अलावा, उन्होंने 15 दिनों के भीतर विद्यार्थियों, संकाय सदस्यों और कर्मचारियों का श्रेणीवार आंकड़ा जारी करने और सितंबर की शुरुआत में अनुसूचित जाति और लैंगिक संवेदनशीलता कार्यक्रम आयोजित करने का वादा किया है।

जेएनयू प्रवेश परीक्षा (जेएनयूईई) को बहाल करना छात्र संघ के मांग पत्र में एक प्रमुख एजेंडा है। संघ ने कहा कि रेक्टर-प्रथम ने मौखिक रूप से आश्वासन दिया है कि अगले शैक्षणिक सत्र से जेएनयूईई के माध्यम से प्रवेश आयोजित किए जाएंगे। हालांकि, विश्वविद्यालय ने कहा है कि अगले साल से जेएनयूईई को लागू करने पर कोई आश्वासन नहीं दिया गया है।

प्रशासन ने जोर देकर कहा कि विश्वविद्यालय के पास आधिकारिक तौर पर मान्यता प्राप्त छात्र निकाय नहीं है। विश्वविद्यालय के एक प्रतिनिधि ने सोमवार को कहा, ‘‘हमने विश्वविद्यालय के विद्यार्थी के तौर पर प्रदर्शनकारियों के साथ बातचीत की, उनके हित पर ध्यान केंद्रित किया।’’

संघ ने दावा किया कि विश्वविद्यालय ने आगामी अकादमिक परिषद (एसी) की बैठक में अनुमोदन के लिए नफे समिति की रिपोर्ट पेश करने पर भी सहमति व्यक्त की है, जिसमें प्रवेश में मौखिक परीक्षा (वाइवा) अंकों की हिस्सेदारी को घटाकर 10-15 प्रतिशत करने की सिफारिश की गई है।

इसने कहा कि विश्वविद्यालय ने पार्थसारथी रॉक्स गेट को रोजाना सुबह छह बजे से रात 10 बजे तक खोलने पर भी सहमति व्यक्त की है, हालांकि संघ ने इसे 24 घंटे खोलने की मांग की है। संघ ने बयान में कहा कि प्रशासन ने अकादमिक कैलेंडर के अनुसार नियमित छात्र संकाय समिति (एसएफसी) चुनाव कराने पर सहमति व्यक्त की है।

उसने कहा कि इसके अलावा, प्रशासन ने कुलपति के आवास के बाहर पानी को लेकर किए गए विरोध प्रदर्शन में शामिल विद्यार्थियों और यौन उत्पीड़न के एक मामले में शुरू की गई जांच को वापस लेने पर सहमति जताई है, जिसमें पीड़िता ने नॉर्थ गेट पर विरोध प्रदर्शन किया था। इसके कारण कई दिनों तक मुख्य प्रवेश द्वार अवरुद्ध रहा था।

छात्र संघ ने कहा कि प्रशासन पीएचडी फेलोशिप फॉर्म जमा करने की अवधि को मासिक से बढ़ाकर हर तीन महीने में करने पर भी सहमत हुआ है।

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