दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा 14 मार्च की तारीख शायद कभी नहीं भूल पाएंगे। इसी दिन उनके घर से भारी मात्रा में बेहिसाब नकदी बरामद की गई थी। ये सभी पैसे उनके स्टोररूम में रखे गए थे। जैसे ही यह खबर मीडिया में आई, देशभर में हलचल मच गई और लोगों की भौंहें तन गईं। सवाल उठने लगे कि आखिर इतनी बड़ी रकम आई कहां से? अगर यह सफेद धन था, तो इसे बैंक में रखने के बजाय स्टोररूम में क्यों रखा गया?
उन पर बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे। अब खबर है कि केंद्र सरकार उन्हें पद से हटाने के लिए पूरी तरह तैयार है। इसके लिए जल्द ही संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाया जा सकता है।
न्यूज़18 की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार अगले सप्ताह जस्टिस वर्मा के खिलाफ रिमूवल मोशन (हटाने का प्रस्ताव) ला सकती है। इसके लिए विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से संपर्क साधा जा रहा है और उन्हें एकमत करने की कोशिश की जा रही है। यह अपने आप में एक दुर्लभ घटना है क्योंकि किसी सिटिंग न्यायाधीश के खिलाफ सरकार द्वारा ऐसा प्रस्ताव बहुत ही कम लाया जाता है।
सूत्रों के अनुसार, भारत सरकार ने अब जस्टिस वर्मा के खिलाफ कार्रवाई का मन बना लिया है। उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव भारतीय संविधान के अनुच्छेद 124(4) के तहत लाया जाएगा। इस प्रावधान के अनुसार, ‘प्रमाणित दुराचार’ या ‘अक्षमता’ के आधार पर राष्ट्रपति किसी न्यायाधीश को पद से हटा सकते हैं।
सरकार संविधान द्वारा निर्धारित कानूनी प्रक्रिया का पालन करेगी। किसी भी सदन में प्रस्ताव पेश करने से पहले संसद सदस्यों से आवश्यक संख्या में हस्ताक्षर जुटाए जाएंगे, जिसके बाद एक औपचारिक जांच समिति का गठन होगा।
यह घटनाक्रम भारतीय न्यायपालिका के लिए एक असाधारण और गंभीर क्षण है। सरकार अब न्यायिक जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए उपलब्ध सबसे सख्त संवैधानिक उपाय अपनाने की दिशा में बढ़ रही है।