कर्नाटक के हसन जिले में हाल ही में हृदयाघात से हुई मौतों ने चिंता बढ़ाई है। इनमें से कई युवा थे, जिसके बाद मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कोविड-19 वैक्सीन को इसका संभावित कारण बताया था। हालांकि, कर्नाटक सरकार द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति ने 7 जुलाई 2025 को अपनी रिपोर्ट में साफ किया कि कोविड वैक्सीन और अचानक हृदयाघात से होने वाली मौतों के बीच कोई संबंध नहीं है। यह अध्ययन श्री जयदेव हृदय रोग विज्ञान संस्थान के निदेशक डॉ. केएस रविंद्रनाथ की अध्यक्षता में हुआ।
रिपोर्ट के अनुसार, हसन में 28 मई से 1 जुलाई 2025 तक 23 लोगों की हृदयाघात से मृत्यु हुई, जिनमें चार 20 साल से कम उम्र के थे। समिति ने पाया कि इन मौतों का कारण उच्च रक्तचाप, मोटापा, मधुमेह और धूम्रपान जैसे पारंपरिक जोखिम कारक हैं। वैक्सीन या कोविड संक्रमण से इनका कोई सीधा संबंध नहीं मिला। डॉ. रविंद्रनाथ ने कहा कि भारत में हृदयाघात पश्चिमी देशों की तुलना में 10 साल पहले हो रहा है, और युवाओं में यह 15% बढ़ा है।
केंद्र सरकार ने भी आईसीएमआर और एम्स के अध्ययनों का हवाला देते हुए कहा कि कोविड वैक्सीन सुरक्षित है और इसके गंभीर दुष्प्रभाव अत्यंत दुर्लभ हैं। वैक्सीन के बजाय, आनुवंशिक प्रवृत्ति, पहले से मौजूद बीमारियां और जीवनशैली के कारक जैसे शराब या अत्यधिक व्यायाम हृदयाघात के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। सिद्धारमैया की टिप्पणी पर बायोकॉन की किरण मजूमदार-शॉ ने आपत्ति जताई, इसे गलत और भ्रामक बताया।
समिति ने हृदय रोगों की निगरानी के लिए एक मजबूत प्रणाली, युवाओं में स्क्रीनिंग और जागरूकता अभियान की सिफारिश की है। हसन में स्वास्थ्य विभाग ने हृदया ज्योति और ग्रुहा आरोग्य योजनाओं के तहत जांच बढ़ा दी है। सरकार ने लोगों से छाती में दर्द या सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण दिखने पर तुरंत स्वास्थ्य केंद्र जाने की अपील की है।