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कर्नाटक हिजाब विवाद: बेंगलुरू के स्कूल-कॉलेजों के गेट के 200 मीटर के दायरे तक किसी भी प्रकार के जमावड़े पर प्रतिबंध

कर्नाटक में जारी 'हिजाब विवाद' अब हिंसक रूप लेता जा रहा है। बुधवार को पुलिस विभाग ने आदेश दिया है कि...
कर्नाटक हिजाब विवाद: बेंगलुरू के स्कूल-कॉलेजों के गेट के 200 मीटर के दायरे तक किसी भी प्रकार के जमावड़े पर प्रतिबंध

कर्नाटक में जारी 'हिजाब विवाद' अब हिंसक रूप लेता जा रहा है। बुधवार को पुलिस विभाग ने आदेश दिया है कि बेंगलुरू शहर में स्कूल, पीयू कॉलेज, डिग्री कॉलेज या इसी तरह के अन्य शैक्षणिक संस्थानों के गेट से 200 मीटर के दायरे के भीतर किसी भी प्रकार का जमावड़ा, आंदोलन या विरोध तत्काल प्रभाव से दो सप्ताह के लिए प्रतिबंधित है।

पुलिस ने बयान जारी करते हुए कहा है कि यह देखा गया है कि राज्य के कुछ हिस्सों में पिछले कुछ दिनों में स्कूल/कॉलेजों में 'ड्रेस' को लेकर विरोध और आंदोलन किया गया है। यही नहीं, कहीं-कहीं इन विरोध प्रदर्शनों ने हिंसा को जन्म दिया है, जिससे सार्वजनिक शांति व्यवस्था भंग हुई है। चूंकि बेंगलुरु शहर में इसी तरह के आंदोलन या विरोध प्रदर्शन की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है, इसलिए बेंगलुरू शहर में सार्वजनिक शांति और व्यवस्था बनाए रखने के लिए उचित सुरक्षा उपाय शुरू करना बहुत जरूरी है।

पुलिस के अनुसार इसलिए, बेंगलुरू शहर में स्कूल, पीयू कॉलेज, डिग्री कॉलेज या अन्य समान शैक्षणिक संस्थानों के आसपास किसी भी प्रकार की सभा,आंदोलन या विरोध को प्रतिबंधित करने के लिए धारा 144(1) के तहत निषेधाज्ञा आदेश जारी किया गया है।

उधर, हिजाब विवाद के कारण हुई हिंसा की घटनाओं में कर्नाटक में स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। इस मामले में पुलिस अब 15 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। शिवमोगा जिले में कर्फ्यू के आदेश के बावजूद कांग्रेस स्टूडेंट विंग के सदस्य बुधवार सुबह फर्स्ट ग्रेड डिग्री कॉलेज और पीजी रिसर्च सेंटर में दाखिल हुए। उन्होंने भगवा झंडा उतारा और बुधवार सुबह तिरंगा फहराया।

गौरतलब है कि यह मुद्दा जनवरी की शुरुआत में उडुपी के गवर्नमेंट गर्ल्स प्री-यूनिवर्सिटी (पीयू) कॉलेज में शुरू हुआ, जहां छह छात्राओं ने कक्षाओं में ड्रेस कोड का उल्लंघन करते हुए हेडस्कार्फ़ पहनकर कक्षाओं में भाग लिया। कॉलेज ने परिसर में हिजाब की अनुमति दी थी लेकिन कक्षाओं के अंदर नहीं। छात्राओं ने निर्देशों का विरोध किया, लेकिन उन्हें कक्षाओं में जाने से रोक दिया गया।  

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