दिल्ली उच्च न्यायालय ने कथित उत्पाद शुल्क घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जमानत देने के ट्रायल कोर्ट के आदेश पर मंगलवार को रोक लगा दी।
न्यायमूर्ति सुधीर कुमार जैन की अवकाश पीठ ने कहा कि निचली अदालत प्रवर्तन निदेशालय द्वारा उसके समक्ष रखी गई सामग्री की सराहना करने में विफल रही और आप नेता की जमानत याचिका पर फैसला करते समय अपने दिमाग का इस्तेमाल नहीं किया।
न्यायाधीश ने यह भी कहा कि ट्रायल कोर्ट को एजेंसी को अपने मामले पर बहस करने के लिए पर्याप्त अवसर देना चाहिए था। पीठ ने कहा, ''आक्षेपित आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगाई जाती है।''
ट्रायल कोर्ट ने 20 जून को केजरीवाल को जमानत दे दी थी और 1 लाख रुपये के निजी मुचलके पर रिहा करने का आदेश दिया था।
ईडी ने अगले दिन उच्च न्यायालय का रुख किया और दलील दी कि ट्रायल कोर्ट का आदेश "विकृत", "एकतरफा" और "गलत-पक्षीय" था और निष्कर्ष अप्रासंगिक तथ्यों पर आधारित थे।
दिल्ली के उपराज्यपाल द्वारा इसके निर्माण और कार्यान्वयन से जुड़ी कथित अनियमितताओं और भ्रष्टाचार की सीबीआई जांच के आदेश के बाद 2022 में उत्पाद शुल्क नीति को रद्द कर दिया गया था।
सीबीआई और ईडी के अनुसार, उत्पाद शुल्क नीति को संशोधित करते समय अनियमितताएं की गईं और लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया।