उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे पर कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। खड़गे ने कहा कि इस्तीफा क्यों दिया गया, इसकी जानकारी सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और खुद धनखड़ को है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि "यह फैसला पूरी तरह उनके और मोदी के बीच की बात है, हमें कोई सूचना नहीं दी गई।"
धनखड़ ने हाल ही में स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था, लेकिन विपक्ष इसे सामान्य इस्तीफा मानने को तैयार नहीं है। मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि जब वे राज्यसभा की कार्यवाही का संचालन करते थे, तो हमेशा सत्तापक्ष का पक्ष लेते थे और विपक्ष के सवालों को दबाने की कोशिश करते थे। उन्होंने आरोप लगाया कि जब विपक्ष किसानों, महिलाओं, गरीबों और अल्पसंख्यकों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की मांग करता था, तो धनखड़ उन्हें नोटिस के बावजूद अनसुना कर देते थे।
खड़गे ने संसद की कार्यवाही के दौरान यह भी कहा कि "हम न तो खुश हैं, न दुखी। हमारे लिए यह न खुशी की बात है, न ग़म की।" उनका यह बयान विपक्षी दलों के उस भाव को दर्शाता है जो धनखड़ के इस्तीफे को अचानक और संदिग्ध मान रहे हैं। कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने इस घटनाक्रम को योजनाबद्ध बताया है। खासकर उस दिन जब संसद का मानसून सत्र शुरू हुआ और एनडीए के प्रमुख नेता जैसे कि जेपी नड्डा और केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू अचानक बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक में शामिल नहीं हुए।
खड़गे ने सवाल उठाया कि जब बार-बार नोटिस दिए जाने के बावजूद विपक्ष के सवालों को नज़रअंदाज़ किया जाता है, तो लोकतंत्र का क्या अर्थ रह जाता है? उन्होंने यह भी कहा कि धनखड़ के इस्तीफे में "दल में कुछ काला" नजर आता है, और यह एक सामान्य इस्तीफा नहीं हो सकता।
अब विपक्षी दल नए उपराष्ट्रपति पद के लिए साझा उम्मीदवार उतारने की रणनीति पर विचार कर रहे हैं, जबकि सरकार की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। इस्तीफे के असली कारणों को लेकर अटकलें तेज हैं, और विपक्ष सरकार से पारदर्शिता की मांग कर रहा है।