इंफोसिस द्वारा 240 प्रशिक्षुओं को नौकरी से निकाले जाने की खबर ने आईटी इंडस्ट्री में हलचल मचा दी है। इन प्रशिक्षुओं को कंपनी के आंतरिक मूल्यांकन—'जनरिक फाउंडेशन ट्रेनिंग प्रोग्राम'—में तीन प्रयासों के बाद भी न्यूनतम योग्यता मानदंड हासिल न करने के कारण हटाया गया है। इससे पहले फरवरी में भी कंपनी ने 300 से अधिक प्रशिक्षुओं को इसी वजह से निकाला था, जिससे यह दूसरी बड़ी छंटनी मानी जा रही है।
एचआर विभाग द्वारा भेजे गए ईमेल में कहा गया है कि इन प्रशिक्षुओं को तैयारी के लिए पर्याप्त समय, डाउट क्लीयरिंग सेशंस और तीन मौके दिए गए थे, लेकिन वे जरूरी योग्यता स्तर हासिल नहीं कर सके। परिणामस्वरूप, उन्हें इंटर्नशिप और नौकरी कार्यक्रम में आगे बढ़ने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
हालांकि, कंपनी ने प्रभावित प्रशिक्षुओं को पूरी तरह अकेला नहीं छोड़ा है। Infosys ने NIIT और UpGrad जैसे प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से मुफ्त अपस्किलिंग कोर्स और आउटप्लेसमेंट सेवाएं देने की पेशकश की है। इसके अलावा दो वैकल्पिक रास्ते दिए गए हैं—पहला, बिजनेस प्रोसेस मैनेजमेंट (BPM) उद्योग के लिए विशेष प्रशिक्षण, और दूसरा, आईटी सेक्टर में मूलभूत कौशल विकसित करने वाला कोर्स। प्रशिक्षण सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद उम्मीदवार Infosys BPM Limited में उपलब्ध अवसरों के लिए आवेदन कर सकते हैं।
इस निर्णय ने प्रशिक्षुओं की मूल्यांकन प्रणाली, कंपनी की ट्रेनिंग प्रक्रिया और सपोर्ट सिस्टम पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। सोशल मीडिया पर कई छात्रों ने इस कदम पर नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि जब ऑफर लेटर देने में दो-ढाई साल का समय लगा, तब कंपनी को भी थोड़ा धैर्य दिखाना चाहिए था। वहीं कुछ लोग कंपनी की पारदर्शिता और वैकल्पिक विकल्प देने के कदम की सराहना भी कर रहे हैं।
इस पूरे घटनाक्रम ने यह भी दिखाया है कि मौजूदा आईटी कंपनियों में ट्रेनिंग और मूल्यांकन को लेकर कितनी सख्ती बरती जा रही है। अब सवाल यह है कि क्या कंपनियों को अपने प्रशिक्षण मॉडल में लचीलापन लाना चाहिए, ताकि युवा प्रतिभाओं को खुद को साबित करने के लिए अधिक अवसर मिल सकें? या फिर बाजार की प्रतिस्पर्धा में केवल टॉप परफॉर्मर्स की ही जगह है? इंफोसिस का यह कदम इन बहसों को नई दिशा जरूर देगा।