अपने संबोधन में सेना प्रमुख ने चीन और पाकिस्तान की बढ़ती नजदीकियों का भी परोक्ष संदर्भ दिया और कहा कि आज ‘‘उनकी मिलीभगत’’ ने ‘‘खतरा और बढ़ा दिया है’’। इससे पहले आठ मार्च को भी जनरल द्विवेदी ने चीन और पाकिस्तान का परोक्ष संदर्भ देते हुए कहा था कि दोनों ‘‘उच्च स्तर पर मिले हुए हैं’’, जिसे स्वीकार किया जाना चाहिए।

चीन और पाकिस्तान के बीच निकटता पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा था, ‘‘जहां तक मेरा सवाल है, इसका मतलब यह है कि दो मोर्चों पर खतरा एक वास्तविकता है।’’

रविवार को अपने व्याख्यान में जनरल द्विवेदी ने कहा, ‘‘देश कई तरह के प्रयासों के साथ काम कर रहा है, हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि सुरक्षा के क्षेत्र में ‘किसी उभरती शक्ति द्वारा किसी मौजूदा शक्ति को हटाने के लिए युद्ध की आशंका’ में फंसना बहुत आसान है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘क्या हम सामाजिक क्षेत्र में अनिवार्य आवश्यकताओं वाले देश के रूप में इस आशंका में फंसने का जोखिम उठा सकते हैं? साथ ही, क्या हम इस तथ्य को नजरअंदाज कर सकते हैं कि हम एक बेहद अस्थिर पड़ोस में रहते हैं?

सेना प्रमुख ने कहा, ‘‘जैसा कि जनरल रावत ने कहा था कि जब आपके उत्तर और पश्चिम में अस्थिर सीमाएं होती हैं, तो आप नहीं जानते कि लड़ाई किस तरफ से शुरू होगी और कहां खत्म होगी। इसलिए, आपको दोनों मोर्चों के लिए तैयार रहना चाहिए। आज, उच्च स्तर पर मिलीभगत ने खतरे को और बढ़ा दिया है।’’

जनरल द्विवेदी ने कहा कि सैन्य क्षेत्र में समाधान के लिए रणनीतिक मार्गदर्शन की तलाश करते हुए, ‘‘मेरे विचार उनके (जनरल रावत के) विचारों से सहमित व्यक्त करते हैं।’’

सेना प्रमुख ने भारत के पहले प्रमुख रक्षा अध्यक्ष को एक विद्वान सैनिक और एक सैन्य सुधारक के रूप में वर्णित किया जिनके पास भविष्य के खतरों को भांपने की असाधारण क्षमता थी। प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल रावत का 2021 में एक हेलिकॉप्टर दुर्घटना में देहांत हो गया था।

जनरल द्विवेदी ने कहा, ‘‘अगर आप हर तरफ से सोच विचार कर देखें तो हम पाते हैं कि चीन, स्थापित नियम-आधारित प्रणाली को चुनौती दे रहा है। एशिया, अफ्रीका और यूरोप में ‘बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव’ में निवेश इसका उदाहरण है।’’

इस उभरती विश्व व्यवस्था में भारत की स्थिति के बारे में जनरल द्विवेदी ने कहा, ‘‘एक प्रमुख आर्थिक और सामरिक शक्ति के रूप में चीन का उभरना भी जटिलता बढ़ाता है, प्रतिस्पर्धा पैदा करता है और ग्लोबल साउथ के लिए नेतृत्व करने के भारत के प्रयासों को बाधित करता है।’’

उन्होंने इस बात को भी रेखांकित किया कि जब सुरक्षा की बात आती है तो ‘‘और अधिक प्रयास करना तथा बेहतर प्रयास करना अब पर्याप्त नहीं है।’’

उन्होंने कहा ‘‘हमें चीजें अलग तरह से करने की जरूरत है और इसका मतलब है कि हमें अलग तरीके से सोचना होगा। सुरक्षा को बढ़ाने के लिए आज नए सिरे से सोचना जरूरी है।’’

बदलती वैश्विक गतिशीलता के बीच भारत की स्थिति पर उन्होंने कहा कि गुटनिरपेक्षता की नीति बहु-संरेखण की रणनीति में विकसित हुई है।

सेना प्रमुख ने कहा कि भारत की अंतरराष्ट्रीय स्थिति अब अधिक "गतिशील और मुखर" है, जो न केवल इसकी बढ़ती क्षमता को रेखांकित करती है, बल्कि दुनिया की अपेक्षाओं को भी स्पष्ट करती है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विकसित भारत 2047 के आह्वान का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, "यह हमारे लिए उभरते वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य में अपना उचित स्थान तलाशने का अवसर है।"

जनरल द्विवेदी ने कहा, "हम समझते हैं कि सुरक्षा का मतलब युद्ध छेड़ने और युद्ध को रोकने की समग्र क्षमता है।"

उन्होंने यह भी कहा कि चीन के नेतृत्व में अंतरिक्ष का बढ़ता सैन्यीकरण कक्षीय मलबे के जोखिम को बढ़ाता है।