तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के एक वरिष्ठ नेता ने बुधवार को कहा कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के जनवरी में अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन में शामिल होने की संभावना नहीं है। टीएमसी सूत्रों के मुताबिक, 22 जनवरी को होने वाले कार्यक्रम में न तो बनर्जी और न ही पश्चिम बंगाल सरकार या पार्टी का कोई प्रतिनिधि मौजूद रहेगा।
टीएमसी के एक वरिष्ठ नेता ने ‘पीटीआई’ को बताया, ‘‘ममता बनर्जी या टीएमसी के किसी अन्य प्रतिनिधि के अगले महीने अयोध्या में राम मंदिर उद्घाटन में शामिल होने का कोई सवाल ही नहीं है। हम राजनीति को धर्म के साथ मिलाने में विश्वास नहीं करते हैं।’’
राम मंदिर का उद्घाटन 22 जनवरी को किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और 6,000 से अधिक लोगों के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में भाग लेने की उम्मीद है।
इससे पहले भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की वरिष्ठ नेता बृंदा करात ने कहा था कि पार्टी उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन समारोह में भाग नहीं लेगी. उन्होंने बताया कि हालांकि उनकी पार्टी धार्मिक मान्यताओं का सम्मान करती है. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधते हुए सुझाव दिया कि "धर्म का राजनीतिकरण करना सही नहीं है."
उन्होंने कहा “हमारी पार्टी अयोध्या में राम मंदिर के 'प्राण प्रतिष्ठा' समारोह में शामिल नहीं होगी. हम धार्मिक मान्यताओं का सम्मान करते हैं लेकिन वे एक धार्मिक कार्यक्रम को राजनीति से जोड़ रहे हैं. यह एक धार्मिक कार्यक्रम का राजनीतिकरण है. यह सही नहीं है."
इस बीच, राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने भी राम मंदिर उद्घाटन से जुड़े पूरे मुद्दे को "दिखावा" बताते हुए भाजपा की आलोचना की और कहा कि भगवा पार्टी भगवान राम के लक्षण जो सिखाती है, उसका "बिल्कुल विपरीत" करती है. उन्होंने कहा, “मेरे हृदय में राम हैं. मुझे दिखावा करने की जरूरत नहीं है."