सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (अफस्पा) के खिलाफ 16 साल तक भूख हड़ताल करने वाली मणिपुर की मानवाधिकार कार्यकर्ता इरोम शर्मिला ने लंबे समय से अपने मित्र रहे ब्रितानी नागरिक डेसमंड कुटिन्हो से आज सुबह कोडईकनाल में सब-रजिस्ट्रार के कार्यालय में विशेष विवाह अधिनियम के तहत विवाह कर लिया। समाचार एजेंसी पीटीआई ने ये जानकारी दी।
Manipur civil rights activist #IromSharmila marries her long- time partner #DesmondCoutinho.
— Press Trust of India (@PTI_News) August 17, 2017
समाचार एजेंसी के मुताबिक, यह एक बेहद सादा समारोह था और इस दौरान वहां दूल्हा-दुल्हन के परिवार के सदस्य मौजूद नहीं थे। इससे पहले युगल ने हिंदू विवाह अधिनियम के तहत विवाह किया था। अंतर-धार्मिक विवाह होने के कारण सब-रजिस्ट्रार ने उन्हें विशेष विवाह अधिनियम के तहत विवाह पंजीकरण कराने के लिए कहा था।
आदिवासियों के लिए उठाएंगी आवाज
शर्मिला ने संवाददाताओं को बताया कि कोडईकनाल एक शांतिपूर्ण स्थान है और शांति के लिए उनकी तलाश यहां आकर खत्म हो गयी। सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा कि वह कोडईकनाल पर्वतीय क्षेत्र में आदिवासियों के कल्याण के लिए अपनी आवाज उठाएंगी।
विवाह को लेकर वी महेंद्रन नामक एक स्थानीय कार्यकर्ता ने आपत्ति जतायी थी। उसने दलील दी कि दंपती के पर्वतीय क्षेत्र में रहने से इलाके के आदिवासियों को कानूनी एवं अन्य तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। बहरहाल, सब-रजिस्ट्रार ने इस आपत्ति को खारिज करते हुए कुटिन्हो के साथ शर्मिला के विवाह का रास्ता साफ कर दिया।
दंपती ने विशेष विवाह अधिनियम के तहत विवाह पंजीकरण के लिए 12 जुलाई को अपना आवेदन जमा किया था और किसी को आपत्ति होने की स्थिति में सब रजिस्ट्रार ने 30 दिन के अंदर इस पर आपत्तियां मंगायी थी। बहरहाल, शर्मिला-कुटिन्हो के विवाह के समर्थन में पलानी मलाई पुलैयां एवं पालियार समेत इलाके के आदिवासियों के एक समूह ने सब रजिस्ट्रार को एक ज्ञापन सौंपा था।
16 साल तक किया अनशन
गौरतलब है कि 44 साल की इरोम शर्मिला मणिपुर में सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून 1958 (AFSPA) को हटाने की मांग को लेकर 4 नवम्बर 2000 से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर थीं। इरोम ने पिछले साल अगस्त में ही अपना 16 साल तक चला अनशन तोड़ा था और राजनीति में आने का फैसला किया था। मणिपुर विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी ‘पीपल्स रीसर्जन्स एेंड जस्टिस एलांयस’ को बुरी तरह शिकस्त खानी पड़ी थी। इरोम को भी इस चुनाव में महज 90 वोट मिले जिसके बाद उन्होंने राजनीति छोड़ने का ऐलान भी कर दिया था। इसके बाद शर्मिला ने कुटिन्हो के साथ पर्वतीय शहर का रुख किया।