सरपंच संतोष देशमुख हत्याकांड का मुख्य साजिशकर्ता एवं महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री धनंजय मुंडे का करीबी सहयोगी वाल्मिक कराड ने बीड जिले में अपना दबदबा बनाए रखने और विकास परियोजनाओं से पैसे ऐंठने के लिए कई आपराधिक गिरोह बनाए हुए थे। राज्य अपराध अन्वेषण विभाग (सीआईडी) ने आरोपपत्र में यह जानकारी दी।
देशमुख की हत्या और दो संबंधित मामलों में पिछले सप्ताह बीड जिले की एक अदालत में दायर किए गए आरोपपत्र में पांच ‘‘गुप्त गवाहों’’ के बयान का उल्लेख है। इनमें एक मामला जबरन वसूली का है।
कराड सहित सात लोगों को अब तक गिरफ्तार किया जा चुका है और उन पर महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
कराड के अलावा, गिरफ्तार अन्य आरोपियों में सुदर्शन घुले, विष्णु चाटे, जयराम चाटे, महेश केदार, सिद्धार्थ सोनवणे, सुधीर सांगले और प्रतीक घुले शामिल हैं। कृष्णा आंधले इस मामले में वांछित आरोपी है।
अन्य के अलावा, दस्तावेज में जिन पांच गुप्त गवाहों के नाम नहीं हैं, उन्होंने जांचकर्ताओं को मुंडे के गृह क्षेत्र बीड जिले में कराड और उनके सहयोगियों की आपराधिक गतिविधियों के बारे में बताया।
गुप्त गवाहों ने जिले में कराड और उसके साथियों की अवैध गतिविधियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। अपने बयान में एक गुप्त गवाह ने सीआईडी को बताया कि कराड ने जिले को अपनी जागीर समझ रखा था, जहां वह अपना दबदबा बनाए रखने के लिए बल प्रयोग करता था और गिरोह बनाए हुए थे।
गवाह ने अपने बयान में कहा, ‘‘कराड ने इन गिरोहों का इस्तेमाल करके जिले पर अपना दबदबा बनाया हुआ था। वह जिले में काम कर रही विभिन्न कंपनियों से जबरन वसूली भी करता था। अगर कोई कंपनी जबरन वसूली की रकम नहीं देती तो गिरोह के सदस्य उसका काम बंद कर देते थे।’’
कराड और उसके साथियों ने डर का माहौल बनाया हुआ था जिसके कारण बहुत कम लोग ही शिकायत के लिए आगे आ पाते थे।
आरोपपत्र में उल्लेख किया गया है कि कराड के पास पांच महंगी कारें, दो भारी वाहन और एक जेसीबी मशीन के अलावा अन्य संपत्तियां हैं।
कभी-कभी गिरोह की गतिविधियों का विरोध करने वाले लोगों के खिलाफ फर्जी मामले दर्ज किए जाते थे। जनवरी में कराड की गिरफ्तारी के बाद, बीड जिले के विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हुए। गवाह ने बयान में बताया कि ये विरोध-प्रदर्शन इन गिरोहों के सदस्यों द्वारा ही कराए गए।