सुप्रीम कोर्ट ने ताजमहल की चारदीवारी के 500 मीटर के दायरे में हर तरह की कारोबारी गतिविधि तुरंत रोकने का आदेश दिया है। कोर्ट ने इसकी जिम्मेदारी आगरा विकास प्राधिकरण पर डाली है। कोर्ट ने कहा है कि आगरा विकास प्राधिकरण को हम निर्देश देते हैं कि वो ताजमहल की दीवार से 500 मीटर के भीतर सभी व्यावसायिक गतिविधियों को तुरंत बंद करा दे। इस बारे में कुछ व्यापारियों ने कोर्ट में अर्जी दी थी। इस अर्जी में 17वीं सदी में बने ताजमहल के आसपास चल रहे कारोबार पर रोक लगाने की मांग की गई थी।
जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एएस ओका की बेंच ने एमिकस क्यूरी यानी न्याय मित्र और वरिष्ठ वकील एडीएन राव की दलीलों को भी रिकॉर्ड में लिया। उन्होंने अपनी दलील में कहा था कि ताजमहल के पास सभी व्यापारिक गतिविधियों को प्रतिबंधित करने के लिए निर्देश जारी हो। ताकि संरक्षित स्मारक का हित बना रहे। राव ने कोर्ट में कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने मई 2000 में भी ऐसा ही आदेश दिया था, लेकिन अब फिर निर्देश दिया जाना चाहिए। इस दलील से कोर्ट ने सहमति जताई।
कोर्ट में अर्जी देने वाले वो दुकानदार थे, जिनको ताजमहल की दीवार से 500 मीटर बाहर जगह दी गई थी। उनकी तरफ से वकील एमसी ढींगरा ने कहा कि स्मारक के पश्चिमी दरवाजे के पास सुप्रीम कोर्ट के आदेश का घोर उल्लंघन कर व्यावसायिक गतिविधियां जारी हैं। उन्होंने इन सभी गतिविधियों को अवैध बताया था। अवैध व्यावसायिक गतिविधियों से संबंधित सबूत भी अर्जी देने वालों की तरफ से कोर्ट को सौंपे गए थे। इन सब पर गौर करते हुए बेंच ने अहम आदेश दिया है।