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अब योगदा सत्संग आत्म-साक्षात्कार पाठमाला हिंदी में, पांच जनवरी को नई दिल्‍ली में होगा नये संस्‍करण का विमोचन

अब योगदा सत्संग आत्म-साक्षात्कार पाठमाला हिंदी में उपलब्‍ध होगा। श्रीश्री योगानंदजी (योगी कथामृत के...
अब योगदा सत्संग आत्म-साक्षात्कार पाठमाला हिंदी में, पांच जनवरी को नई दिल्‍ली में होगा नये संस्‍करण का विमोचन

अब योगदा सत्संग आत्म-साक्षात्कार पाठमाला हिंदी में उपलब्‍ध होगा। श्रीश्री योगानंदजी (योगी कथामृत के लेखक) के जन्‍मोत्‍सव के मौके पर पांच जनवरी को नई दिल्‍ली में इसके नये संस्‍करण का, योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ़ इण्डिया (वाईएसएस), द्वारा विमोचन किया जायेगा। वाईएसएस के वरिष्ठ संन्यासी स्वामी ईश्वरानन्द गिरि ने शनिवार को रांची में इस आत्म-साक्षात्कार पाठमाला के विमोचन और इसके महत्त्व के बारे में बताया। उन्‍होंने कहा कि “परमहंस योगानन्द प्रायः क्रियायोग मार्ग, जिसमें ध्यान की वैज्ञानिक प्रविधियां सम्मिलित हैं, को ‘ईश्वर तक ले जाने वाला राजमार्ग’ कहा करते थे। उनकी शिक्षाएं मुद्रित योगदा सत्संग पाठमाला  के माध्यम से उपलब्ध कराई जाती हैं — और अब हिंदी में उपलब्ध इन पाठों द्वारा भारत में जन साधारण को अपनी मातृभाषा में ध्यान करना सीख पाने मे सुविधा होगी।

स्वामी ईश्वरानन्दजी ने क्रियायोग ध्यान के पवित्र विज्ञान को सीखने में रुचि रखने वाले नवागन्तुकों को योगदा सत्संग पाठमाला के लिए आमन्त्रित करते हुए कहा कि जीवन में हमारी विभिन्न उपलब्धियों के होते हुए भी प्रायः रिक्तता अथवा उद्देश्यहीनता की भावना बनी ही रहती है। ये क्रियायोग ध्यान की शिक्षाएं उस शून्य को भरने, हमारे भीतर विद्यमान आत्मा की समस्त शान्ति एवं आनन्द को प्रकट करने  के लिए हमें आवश्यक साधन प्रदान करती हैं।  योगदा सत्संग पाठमाला की चर्चा करते हुए कहा कि  “योगदा सत्संग पाठमाला का नया संस्करण योगानन्दजी के गृह-अध्ययन कार्यक्रम का एक अत्यन्त परिष्कृत और विस्तारित स्वरूप है। मूल शृंखला में 18 विस्तृत पाठ हैं, जो साधकों को डाक द्वारा प्रेषित किए जाते हैं — नौ महीने की अवधि में, प्रत्येक दो सप्ताह में एक पाठ की दर पर।

इस नए संस्करण में योगदा सत्संग ध्यान प्रविधियों और साधना से सम्बन्धित परमहंसजी के लेखों और कक्षाओं से ली गई पहले अप्रकाशित सामग्री सम्मिलित हैं। पाठमाला के नए संस्करण को इस प्रकार से पुनर्गठित किया गया है कि नए साधक आठ महीने के अध्ययन के पश्चात् क्रियायोग के लिए आवेदन करने के योग्य हो सकेंगे। पहले पाठ से ही, आपको निश्चित पद्धतियां प्राप्त होंगीं जिनके अभ्यास से आप शीघ्र ही ध्यान के लाभों का अनुभव कर सकेंगे। गहन ध्यान के लिए एक ठोस आधार का निर्माण करते हुए आप क्रियायोग के व्यापक आध्यात्मिक विज्ञान में आवश्यक पहले चरण के रूप में परमहंस योगानन्द द्वारा सिखाई गई तीन शक्तिशाली प्रविधियों को सीखते हैं। एसआरएफ़/वाईएसएस ऐप — के माध्यम से प्रत्येक पाठ को डिजिटल रूप में अपने मोबाईल फोन या कंप्युटर पर भी पढ़ सकेंगे। प्रत्येक पाठ के साथ डिजिटल प्रारूप में अनुपूरक ऑडियो और वीडियो सामग्री भी उपलब्ध है। इस एप्प पर निर्देशित ध्यान-सत्रों के वीडियो भी उपलब्ध हैं।  

स्‍वामी ईश्‍वरानंदजी ने योगदा सत्‍संग द्वारा किये जा रहे सामाजिक कार्यों की भी चर्चा की। कहा कि कोरोना काल में बड़ी संख्‍या में लंबे समय तक गरीबों, असहायों की मदद की गई। रांची में अस्‍पताल भी चलता है जिसमें करीब 24 हजार लोगों का मुफ्त इलाज किया गया। योगदा सोसाइटी मैट्रिक व उच्चस्तरीय शिक्षा प्राप्त करनेवाले मेधावी और अभावग्रस्त छात्रों के बीच प्रत्येक वर्ष छात्रवृत्ति भी प्रदान करती है। 22 करोड़ की लागत से योगदा सत्संग विद्यालय नए भवन का निर्माण कराया गया है। योगदा सत्संग के पूरे भारत मे लड़को व लड़कियों के लिए 17 शिक्षण संस्थानें हैं।  2024 में योगदा भक्तों की सुविधा के लिये 17 साधना संगम आयोजित होंगे, जिसमें रांची में आठ, नोएडा में चार, दक्षिणेश्वर में तीन और महाराष्ट्र के इगतपुरी में दो होंगे। साधना संगम साधकों के आध्यात्मिक मार्ग को गति प्रदान करने तथा प्रविधियों की शुद्धता हेतु की जाती हैं। देश में योग के प्रसार तथा सुदृढ़ आध्यात्मिक वातावरण हेतु विभिन्न क्षेत्रों में 20 एक दिवसीय कार्यक्रम, 13 तीन दिवसीय कार्यक्रम, 5 दो दिवसीय कार्यक्रम तथा 3 रिट्रिट का आयोजन होगा। योगदा सत्संग मठ की ओर से, बच्चों में बाल्यकाल से ही आध्यात्मिक अभिरुचि जागृत करने, मानवीय मूल्यों से युक्त करने, देश के प्रति सच्ची निष्ठा के साथ सुयोग्य नागरिक के निर्माण करने हेतु प्रत्येक रविवार को अलग से सत्संग एवं समर कैंप की व्यवस्था की जाती है।

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