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एनएसडी ने बनाया वर्ल्ड रिकार्ड, एक साथ 1500 नाटकों का देश भर में प्रदर्शन

राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय ने आज देश भर में एक साथ 1500 नाटकों का प्रदर्शन कर एक नया वर्ल्ड रिकार्ड बनाया।...
एनएसडी ने बनाया वर्ल्ड रिकार्ड, एक साथ 1500 नाटकों का देश भर में प्रदर्शन

राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय ने आज देश भर में एक साथ 1500 नाटकों का प्रदर्शन कर एक नया वर्ल्ड रिकार्ड बनाया। एनएसडी के प्रांगण में आयोजित समारोह में बेंगलूर से आई शैलजा ने संस्कृति सचिव गोविंद मोहन को वर्ल्ड बुक रिकार्ड्स का सर्टिफिकेट भेंट किया। भारतीय रंगमंच ही नहीं विश्व रंगमंच के इतिहास में यह पहला मौका है जब एक साथ देश के विभिन शहरों में 1500 रंग मंडलियों ने नाटकों की प्रस्तुति की। संस्कृति सचिव गोविंद मोहन ने शाम 4 बजे बटन दबाकर इन नाटकों के लाइव प्रदर्शन को शुभारंभ किया।इस अवसर पर एनएसडी के अध्यक्ष परेश रावल उपाध्यक्ष भरत गुप्त संयुक्त सचिव उमा नदूरी , अमिता साराभाई  निदेशक चितरंजन त्रिपाठी आदि मौजूद थे।

इस अवसर पर एनएसडी के कर्मचारियों ने भी एक लघु नाटक का प्रदर्शन किया  जिसमें विकसित भारत का संदेश दिया गया और सोने की चिड़िया  वाले देश को वापस  लाने की बात कही गयी।इस नाटक का निर्देशन निशा त्रिवेदी की टीम ने किया।संस्कृति सचिव ने उन्हें एक प्रमाण पत्र भी पेश किया। उन्होंने एनएसडी के कार्यों विषेशकर भारंगम की तारीफ करते हुए कहा किएनएसडी को अभी और ऊंचाइयों पर ले जाना है और सरकार उसे हर मदद करने के लिए कृत संकल्प है।

उन्होंने कहा कि एनएसडी ने मुम्बई में भारंगम का बखूबी उद्घटान किया और आज उसका समापन समुद्र मंथन नाटक से कर रहा है जो सबसे पुराना नाटक है।हमारी नाट्य परंपरा 25000 वर्ष पुरानी है। गौरतलब है कि भारंगम में 15 शहरों में 125 से अधिक नाटक खेले गए। एनएसडी अध्यक्ष परेश रावल ने कहा कि रंगमंच देश को जोड़ने का एक सशक्त माध्यम है और हमने जन भारत  रंग  से यही काम किया है। थियेटर के इतिहास में यह पहली घटना है जब इतनी संख्या में एक साथ देश भर में नाटक हुए।

निदेशक  चितरंजन त्रिपाठी  ने कहा कि हमपूरे  देश को नाटक के ज़रिएजोड़ना चाहेंगे और हमारी कामना है कि हर घर मे एक नाटक हो।उन्होंने भरत मुनि के नाट्यशास्त्र का जिक्र करते हुए कहा कि नाटक समाज को हर  संस्कृति से जोड़ने  काकाम करता है और इस मायने में समाज का रक्षक है। समारोह को दोनों संयुक्त सचिव  तथा उपाध्यक्ष भरत गुप्त ने भी सम्बोधित किया।

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