जब ईरान और इज़रायल के बीच तनाव बढ़ा और हालात युद्ध की ओर मुड़ने लगे, तब भारत सरकार ने अपने नागरिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए एक बड़ा कदम उठाया। विदेश मंत्रालय ने ‘ऑपरेशन सिंधु’ के तहत पहले ईरान और अब इज़रायल में फंसे भारतीय नागरिकों को निकालने की प्रक्रिया शुरू की है। इस अभियान के तहत उन भारतीयों को वापस लाया जा रहा है जो ईरान और इज़रायल में पढ़ाई, नौकरी या व्यापार के सिलसिले में गए थे और अब वहां जारी संघर्ष के कारण असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
ऑपरेशन सिंधु का पहला चरण उस समय शुरू हुआ जब ईरान पर इज़रायली हमलों के बाद हालात तेजी से बिगड़ने लगे। तेहरान, तबरेज़ और अन्य शहरों में बमबारी और मिसाइल हमलों के बाद भारत सरकार ने वहां फंसे अपने नागरिकों, खासकर मेडिकल छात्रों को निकालने का फैसला किया। करीब 110 छात्रों को सड़क मार्ग से आर्मेनिया की राजधानी येरवान ले जाया गया, जहां से उन्हें विशेष विमान से भारत लाया गया। इस सफल निकासी के बाद अब MEA ने साफ किया है कि इज़रायल में रह रहे और लौटना चाहने वाले भारतीयों को भी इसी तरह की मदद दी जाएगी।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि निकासी केवल उन्हीं लोगों के लिए की जा रही है जो स्वेच्छा से वापस आना चाहते हैं। इसके लिए सरकार ने विशेष हेल्पलाइन और दूतावासों के ज़रिए रजिस्ट्रेशन की सुविधा शुरू की है। इज़रायल में भारतीय नागरिकों की बड़ी संख्या तेल अवीव, हाइफ़ा और यरुशलम जैसे शहरों में है। सरकार ने स्थानीय दूतावासों को सतर्क कर दिया है और वहां मौजूद नागरिकों को हरसंभव सहायता देने का निर्देश दिया है। यात्रा की योजना इस तरह बनाई जा रही है कि पहले लोगों को सुरक्षित ज़ोन जैसे जॉर्डन, मिस्र या साइप्रस तक भूमि या समुद्र मार्ग से पहुँचाया जाएगा, उसके बाद उन्हें विशेष विमानों से भारत लाया जाएगा।
इस पूरी प्रक्रिया में भारतीय वायुसेना और नौसेना को भी तैयार रखा गया है ताकि आवश्यकता पड़ने पर तेजी से कार्रवाई की जा सके। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सरकार लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए है और हर घंटे अपडेट ले रही है। MEA के प्रवक्ता ने कहा कि किसी भी भारतीय नागरिक को घबराने की जरूरत नहीं है, सरकार उनके साथ है।
ऑपरेशन सिंधु भारत के उन प्रयासों की एक और मिसाल है जिसमें उसने युद्ध और संकट की घड़ी में अपने नागरिकों को सुरक्षित निकालने में अग्रणी भूमिका निभाई है। इससे पहले यूक्रेन संकट, अफगानिस्तान में तालिबान का कब्ज़ा और सूडान संकट के दौरान भी भारत ने सफल निकासी अभियान चलाए थे। हर बार की तरह इस बार भी भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि चाहे दुनिया के किसी भी कोने में संकट हो, भारतीय नागरिकों की सुरक्षा उसके लिए सर्वोपरि है।
भारत का यह कदम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसकी छवि को और मज़बूत बनाता है कि वह न केवल अपने नागरिकों के प्रति उत्तरदायी है बल्कि जटिल कूटनीतिक हालात में भी निर्णय लेने और उन्हें लागू करने में सक्षम है। ऑपरेशन सिंधु न केवल एक राहत कार्य है बल्कि यह उस भरोसे का भी प्रतीक है जो एक नागरिक अपने देश पर रखता है—कि जब भी संकट आएगा, उसका देश उसके साथ खड़ा मिलेगा।