Advertisement

विरोध के बीच संसद से पारित तीनों कृषि संबंधी विधेयकों को राष्ट्रपति ने दी मंजूरी

संसद से पारित तीनों कृषि संबंधी विधेयकों को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मंजूरी मिल गई है। रविवार को...
विरोध के बीच संसद से पारित तीनों कृषि संबंधी विधेयकों को राष्ट्रपति ने दी मंजूरी

संसद से पारित तीनों कृषि संबंधी विधेयकों को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मंजूरी मिल गई है। रविवार को उन्होंने इन सभी बिल पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। गौरतलब है कि देश भर के किसान इन विधेयकों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों और विपक्षी दलों का आरोप है कि इससे किसानों का बहुत बड़ा नुकसान होगा और वो सिर्फ निजी कंपनियों के हाथों में बंधकर रह जाएंगे। इस बाबत 25 सितंबर को भारत बंद का आवाह्न किया गया था, जिसका काफी असर देश के कई हिस्सों में देखने को मिला। खास तौर से हरियाणा और पंजाब के किसान इन विधेयकों के विरूद्ध लगातार विरोध कर रहे हैं।

किसान उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2020 का उद्देश्य विभिन्न राज्यों द्वारा गठित कृषि उपज विपणन समितियों (एपीएमसी) द्वारा विनियमित मंडियों के बाहर कृषि उपज की बिक्री की अनुमति देना है। वहीं, दूसरे बिल मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा विधेयक 2020 किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) अनुबंध खेती के लिए प्रदान करता है।जबकि, तीसरे बिल आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020 अनाज, दालों, आलू, प्याज और खाद्य तिलहन जैसे खाद्य पदार्थों के उत्पादन, आपूर्ति, वितरण को निष्क्रिय करता है।

गौरतलब है कि इन विधेयकों के विरोध में बीते दिनों केंद्रीय मंत्रिमंडल से हरसिमरत कौर बादल ने इस्तीफा दे दिया था। जिसके बाद अब शिरोमणि अकाली दल ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से अपना गठबंधन तोड़ लिया है। कृषि संबंधी विधेयकों के लोकसभा में आने के बाद से ही अकाली दल लगातार किसानों और विरोधियों के निशाने पर था।

वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार इस बात का आश्वासन देने पर जोर दे रहे हैं कि ये बिल किसानों के हित में है। रविवार को भी अपने रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' में इन विधेयकों को लेकर उन्होंने अपनी बात रखी। प्रधानमंत्री ने कहा कि ये विधेयक आने के बाद अब किसानों को अपनी फल-सब्जियां कहीं पर भी, किसी को भी बेचने की ताकत मिल गई है। पीएम मोदी इसे कृषि क्षेत्र में क्रांति बता रहे हैं।

इस बिल को लेकर 18 राजनीतिक दलों के नेताओं ने राष्ट्रपति से अर्जी की थी कि वो इसे स्वीकृति न दें।

 

 

 

 

  

 

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad