पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने केंद्र सरकार द्वारा घोषित कृषि सुधार नीति और मंडी एक्ट में संशोधन को खारिज किया है। उन्होंने चेतावनी दी कि इस तरह के कदम के गंभीर नतीजे होंगे। उन्होंने इसे मानने से इनकार कर दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्यों से विचार किए बिना इस तरह का कदम उठाना देश के संघीय ढांचे को नुकसान पहुंचाने वाला है।
मुख्यमंत्री ने यहां मीडिया कर्मियों से बातचीत में कहा कि जब कर्ज हमें लौटाना है तो केंद्र हमारे कर्ज की सीमा 3 से 5 करने में शर्तें क्यों लगा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि क्षेत्र के लिए केंद्र द्वारा घोषित सुधार देश के संघीय ढांचे को अस्थिर करने की तरह है और यह अस्वीकार्य है। उन्होंने कहा कि यह कदम कदम पंजाब के किसानों के हितों के लिए हानिकारक होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र के अचानक फैसले लेने और राज्यों पर उन्हें थोपने की आदत है।
यह एमएसपी और खाद्यान्न खरीद के सिस्टम को भंग करने का मार्ग प्रशस्त कर सकता है
उन्होंने कहा कि हम इसे खारिज करते हैं। उन्होंने चेतावनी दी है कि यह एमएसपी और खाद्यान्न खरीद के सिस्टम को भंग करने का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। इससे राज्य के किसानों को परेशानी हो सकती है और किसानों में आक्रोश पैदा हो सकता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र की खाद्य सुरक्षा पर इसका गंभीर और प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, जो कि हरित क्रांति के बाद से पंजाब के मेहनती और निस्वार्थ किसानों ने बनाए रखा है। उन्होंने कहा कि किसानों को इससे लाभ नहीं होगा, उल्टा इन बदलावों से किसान, व्यापारियों के हाथों पीड़ित होंगे।
ये राज्य के मामले हैं, जिन्हें अलग-अलग राज्यों को संभालने की जरुरत
उन्होंने कहा कि संवैधानिक ढांचे के तहत कृषि राज्यों का विषय है और संघ सरकार के पास कृषि उत्पादन, विपणन और प्रसंस्करण की गतिशीलता से निपटने के लिए कोई कानून बनाने की कोई शक्तियां नहीं हैं। ये राज्य के मामले हैं, जिन्हें अलग-अलग राज्यों को संभालने और प्रबंधित करने के लिए सबसे अच्छा स्थान दिया गया है। केंद्र सरकार ने आवश्यक वस्तु अधिनियम में बदलाव को मंजूरी देने के साथ ही कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश, 2020 को भी अनुमति दी है। इसके साथ ही मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अध्यादेश पर किसानों का (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता अधिनियम, 2020 को भी अनुमति दी है।
आईएएनएस एजेंसी इनपुट