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विधानसभा चुनाव’24 हरियाणा: कांग्रेस की चुनौती खेमेबाजी

पार्टी चुनाव दोतरफा होने के आसार से उत्साहित, बाकी सभी वजूद बचाने में मशगूल प्रमुख विपक्षी दल...
विधानसभा चुनाव’24 हरियाणा: कांग्रेस की चुनौती खेमेबाजी

पार्टी चुनाव दोतरफा होने के आसार से उत्साहित, बाकी सभी वजूद बचाने में मशगूल

प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस की इस बार अलग-अलग सूचियां जारी करके संभावित बगावत साधने की कवायद सिरे चढ़ती है या नहीं, यह तो 5 अक्टूबर को मतदान के वक्त ही जाहिर होगा। आम आदमी पार्टी (आप) से गठबंधन की अटकलें लगभग विराम ले रही हैं। 9 सितंबर को आखिर आप ने 21 उम्मीदवारों की सूची जारी करके यह संदेश दिया। उधर, कांग्रेस ने 6 सितंबर को 32 उम्मीदवारों की पहली और 8 सितंबर की देर रात जारी 9 उम्मीदवारों की दूसरी सूची में  घोषित  कुल 41 उम्मीदवारों में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष उदयभान (होडल),नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा (किलोई) समेत सभी 28 मौजूदा विधायकों को उनके पुराने हलकों से मैदान में उतारकर भाजपा में छिड़ी बगावत के उलट रणनीति अपनाई है।

कांग्रेस की इन सूचियों में शामिल आठ नए चहरे हैं। उनमें ओलंपियन पहलवान विनेश फोगाट अपनी सुसराल जुलाना से सियासी अखाड़े में उतरेंगी। लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए हिसार से पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह (चौधरी बीरेंद्र सिंह के पुत्र) को उचाना से, बंसीलाल के पोते अनिरुद्ध चौधरी को तोशाम से उम्मीदवार बनाया गया है। बादशाहपुर से नया युवा चेहरा वर्धन यादव राहुल गांधी की पंसद हैं। दलबदलुओं में जजपा के बागी विधायक रामकरण काला (शाहबाद) से इनेलो से कांग्रेस में आई मंजू चौधरी (नांगल चौधरी) और निर्दलीयों में धर्मपाल गोंदर नीलोखेड़ी सीट से और गुरुग्राम से मोहित ग्रोवर शामिल हैं। 

विभिन्न मामलों में ईडी की जांच का सामना कर रहे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के अलावा तीन विधायकों सुरेंद्र पंवार (सोनीपत), राव दान सिंह (महेंद्रगढ़) और धर्म सिंह छोकर (समालखा) को फिर से उम्मीदवार बनाए जाने पर कांग्रेस भाजपा के निशाने पर है। इनमें पंवार अवैध खनन के आरोप में ईडी की हिरासत में हैं। विधायक राव दान सिंह पर प्रॉपर्टी कारोबार में 1,392 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले की ईडी जांच जारी है। प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया के इन तीन विधायकों और दलबदलुओं के भारी विरोध के बाजूवद हुड्डा अपने खेमे को मजबूत करने में कामयाब रहे। आउटलुक से बाबरिया ने कहा, “स्क्रीनिंग कमेटी की हर बैठक में मेरी प्राथमिकता कट्टर कांग्रेसियों के पक्ष में रही लेकिन मुझे लगता है कि मैं कांग्रेस के कई साथियों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा। जिन्हें टिकट नहीं मिला वे धैर्य रखें।” लेकिन नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा, “सभी मौजूदा विधायकों को टिकट दिए जाने का फैसला कांग्रेस आलाकमान का है। कहीं कोई खेमा नहीं है। कांग्रेस पूरी तरह एकजुट होकर बड़े बहुमत से सरकार बनाएगी।”

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा

दस साल सत्ता से दूर रही कांग्रेस को बेरोजगारी, कारोबारी (कानून-व्यवस्था), जवान (अग्निवीर), किसान (एमएसपी की कानूनी गारंटी), परिवार और प्रॉपर्टी पहचान जैसे मुद्दों का लाभ बीते लोकसभा चुनाव में मिला है। फिर भी, उसके लिए विधानसभा चुनाव में असली चुनौती बाकी बची 58 सीटों पर जिताऊ तथा टिकाऊ उम्मीदवारों का चयन है। पार्टी में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, सांसद कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला की खेमे सक्रिय हैं और ये तीनों मुख्यमंत्री पद के लिए अपनी दावेदारी मजबूत करने के लिए अधिक से अधिक अपने समर्थकों को टिकट दिलाने की होड़ में हैं। पहली सूची के मौजूदा विधायक 28 उम्मीदवारों में करीब दो दर्जन हुड्डा खेमे के हैं जबकि चार सैलजा समर्थकों में असंध से शमशेर सिंह गोगी, चौधरी भाई-बहन में कालका से प्रदीप चौधरी तथा नारायणगढ़ से शैली चौधरी और सढ़ोरा से रेनु बाला हैं।

कांग्रेस ने 80 वर्ष के डॉ. रघुवीर कादियान से लेकर 30 साल की विनेश फोगाट को शामिल करके अनुभवी नेताओं और युवा चेहरों के बीच सामंजस्य स्थापित करते हुए लाल परिवारों और सर छोटूराम की सियासी विरासत को भी जोड़ा है। जाति और क्षेत्रीय समीकरणों के हिसाब से अभी तक घोषित हुए 41 उम्मीदवारों में सबसे अधिक 12 जाट, 9 एससी, 9 ओबीसी, 4 पंजाबी, 3 मुस्लिम, 3 ब्राह्मण और एक सिख हैं। 

इधर कुश्ती, कबड्डी से कांग्रेस और भाजपाई सियासी अखाड़ों में उतरे खिलाड़ियों को लेकर दोनों तरफ से घेराबंदी जारी है। भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष तथा पूर्व भाजपा सांसद बृजभूषण ने कांग्रेस की विनेश फोगाट के खिलाफ चुनाव प्रचार का ऐलान किया है। यौन शोषण के आरोपी बृजभूषण के खिलाफ साक्षी मलिक, विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया की अगुआई में खिलाड़ियों ने दिल्‍ली के जंतर-मंतर पर महीनों विरोध प्रदर्शन किया था। विनेश के ताऊ महावीर सिंह फोगाट ने भी भतीजी विनेश के लिए कहा, “चुनाव ही लड़ना था तो कांग्रेस की बजाय भाजपा से लड़ती।” महाबीर की बेटी बबीता फोगाट भी भाजपा की टिकट पर 2019 का विधानसभा चुनाव दादरी से निर्दलीय सोमवीर सांगवान से हारी थीं पर इस बार भाजपा ने यहां से सुनील सांगवान को मैदान में उतारा है।

इंडिया ब्लॉक में कांग्रेस की सहयोगी आम आदमी पार्टी अब बगैर गठबंधन के हरियाणा की 90 में से ज्‍यादातर सीटों पर उम्मीदवार उतारने की बात कर रही है। बीते लोकसभा चुनाव में गठबंधन के तहत आप ने कुरुक्षेत्र की एक सीट पर चुनाव लड़ा था लेकिन हार का सामना करना पड़ा। गठबंधन विधानसभा चुनाव में भी जारी रखने की राहुल गांधी की कोशिश के बीच आप सांसद राघव चड्ढा और कांग्रेस महासचिव के.सी. वेणुगोपाल के बीच हुई कई दौर की बैठकें हुईं। आप ने दस सीटों पर लड़ने की इच्छा जताई लेकिन सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस आलाकमान ने आप को पांच सीटों पर राजी कर लिया था। लेकिन हरियाणा इकाई के विरोध के चलते गठबंधन में रुकावट आ गई। बाद में आप उससे भी कम सीटों पर लड़ने को तैयार होती लगी, लेकिन जो सीटें वह मांग रही थी, उस पर प्रदेश कांग्रेस तैयार नहीं थी।

भले ही आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल हरियाणा के सिवानी के रहने वाले हैं पर पार्टी के लिए वे यहां सियासी जमीन मजबूत नहीं कर पाए हैं। 2019 के विधानसभा चुनाव में भी आप 46 सीटों पर लड़ी थी लेकिन उसे नोटा से भी कम मात्र 0.46 प्रतिशत मत मिले थे। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष उदयभान ने आउटलुक से कहा, “गठबंधन राष्ट्रीय स्तर पर है। प्रदेश में कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ने में सशक्त और सक्षम है।”

इनेलो के अभय चौटाला

इनेलो के अभय चौटाला

इंडियन नेशनल लोकदल से टूटी चौटाला परिवार की जननायक जनता पार्टी (जजपा) 2019 के विधानसभा चुनाव में दस सीटें जीतकर भाजपा के लिए किंगमेकर की भूमिका में सामने आई। लोकसभा चुनाव से पहले इनका गठबंधन टूट गया था। अब जजपा विधानसभा चुनावों की घोषणा के साथ नेताओं की भगदड़ से जूझ रही है। पार्टी में बचे सिर्फ तीन विधायकों में दुष्यंत चौटाला, उनकी मां नैना चौटाला और जुलाना से विधायक अमरजीत सिंह ढांडा हैं। जजपा लोकसभा की 10 में से एक भी सीट पर जमानत तक नहीं बचा पाई। मत प्रतिशत एक से भी नीचे गिर गया। ऐसे में अस्तित्व बचाने के लिए जूझ रही जजपा ने विधानसभा चुनाव में आजाद समाज पार्टी से गठबंधन किया है।

उचाना से पर्चा भरने वाले दुष्यंत चौटाला के छोटे भाई दिग्विजय चौटाला डबवाली से चुनाव लड़ेंगे, जहां हाल ही में भाजपा छोड़ने वाले देवीलाल के पोते आदित्य चौटाला इंडियन नेशनल लोकदल से ताल ठोंकने को तैयार हैं। इसी सीट पर देवीलाल के भाई साहिब सिंह के कांग्रेसी विधायक पौत्र अमित सिहाग से चौटाला परिवारों की तीसरी और चौथी पीढ़ी का मुकाबला कड़ा होने वाला है। 2019 का चुनाव बाढ़ड़ा से जीती नैना चौटाला की सीट अभी तय नहीं हुई है। पार्टी में बचे हुए तीसरे विधायक अमरजीत ढांडा जुलाना में कांग्रेस की विनेश फोगाट के आगे कड़े मुकाबले में सीट बचा पाएंगे या नहीं, कहना मुश्किल है। अब जजपा को भाजपा और कांग्रेस के बागियों को मैदान में उतारा जाए।

देवीलाल परिवार की इंडियन नेशनल लोकदल भी सियासी अस्तित्व बचाने की लड़ाई लड़ रहा है। उसकी 2019 के विधानसभा चुनाव में जीती एकमात्र सीट से आगे बढ़ना इस बार बसपा से गठबंधन के बावजूद कड़ी चुनौती बना हुआ है। एक दशक से भी अधिक समय तक हरियाणा की सत्ता में रही इनेलो में बड़े नेताओं के नाम पर ओमप्रकाश चौटाला और उनके बेटे अभय चौटाला के अलावा चौथी पीढ़ी में अभय के बेटे अर्जुन चौटाला और कर्ण चौटाला भी परिवार का सियासी अस्तित्व बचाने के लिए मैदान में हैं। रानियां से नामांकन के वक्त अर्जुन चौटाला ने अपने सामने निर्दलीय दादा रणजीत चौटाला पर तंज कसते हुए कहा, “विकास कराते तो भाजपा टिकट न काटती।”

हरियाणा के राजनैतिक विश्लेषक डॉ. सतीश त्यागी के मुताबिक, “तीन लालों-देवीलाल, बंसीलाल, भजनलाल की धुरी रहा हरियाणा की सियासत को भाजपा ने ऐसा उलझाया है कि परिवार एक दूसरे के विरोध में सामने डटे हैं।” जजपा, इनेलो, आप समेत अन्य क्षेत्रीय दल सत्ताधारी भाजपा और प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती न सही पर वोटकटवा साबित होंगे या नहीं, यह 8 अक्टूबर को चुनावी नतीजों से साफ होगा। हालांकि यह तय लगता है कि किंगमेकर की भूमिका में अबकी बार किसी क्षेत्रीय दल के उभरने के आसार बहुत कम हैं।

 

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