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पंजाब के पूर्व डीजीपी सैनी की अंतरिम जमानत पर हाईकोर्ट का फैसला सुरक्षित, हो सकती है जेल

29 साल पुराने बलवंत सिंह मुल्तानी अपहरण व हत्या मामले में नामजद पंजाब के पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी...
पंजाब के पूर्व डीजीपी सैनी की अंतरिम जमानत पर हाईकोर्ट का फैसला सुरक्षित, हो सकती है जेल

29 साल पुराने बलवंत सिंह मुल्तानी अपहरण व हत्या मामले में नामजद पंजाब के पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी की अग्रिम जमानत पर सोमवार को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस फतेहदीप सिंह ने सुनवाई की। फिलहाल पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने सैनी की गिरफ्तारी पर कोई रोक नहीं लगाई है।

जस्टिस फतेह दीप सिंह ने सैनी की अग्रिम जमानत याचिका और मामले की निष्पक्ष अथवा सीबीआई से जांच कराने की मांग संबंधी दोनों याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया। सैनी पंजाब सरकार द्वारा दी गई जेड प्लस सुरक्षा को छोड़ पिछले एक हफ्ते से फरार हैं। सैनी की गिरफ्तारी के लिए गठित पंजाब पुलिस की विशेष जांच टीम चंडीगढ़,पंजाब,हिमाचल व दिल्ली में सैनी के संभावित ठिकानों पर छापेमारी कर चुकी है।

  इससे पहले अतिरिक्त जिला व सेशन जज रजनीश गर्ग की अदालत द्वारा सैनी की अग्रिम जमानत रद्द करने के बाद उन्होंने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट की शरण लेकर अग्रिम जमानत की मांग की थी। इसकी सुनवाई पिछले हफ्ते शुक्रवार को जस्टिस सुवीर सहगल के पास होनी थी, किंतु उन्होंने सुनवाई करने से इंकार करते हुए मामले को चीफ जस्टिस को भेज आग्रह किया था कि इसे किसी दूसरे बेंच को सुनवाई के लिए भेज दिया जाए। इससे पूर्व बुधवार को जस्टिस अमोल रतन सिंह ने सैनी की इसी मामले में सीबीआई अथवा पंजाब से बाहर किसी अन्य निष्पक्ष एजेंसी से जांच कराने की मांग पर सुनवाई से इंकार कर दिया था।

हाईकोर्ट के जज बनने से पहले जस्टिस अनमोल पंजाब सरकार की ओर से हाईकोर्ट में पैरवी करते रहे हैं। जस्टिस सुवीर सहगल भी हाईकोर्ट के जज बनने से पहले पंजाब सरकार की ओर से हाईकोर्ट में पैरवी कर रहे थे। साथ ही चंडीगढ़ प्रशासन के सीनियर स्टैंडिंग काउंसिल भी थे। इसी के चलते दोनों ने याचिका पर सुनवाई करना उचित नहीं समझा।

याचिका में सैनी ने कहा कि एक रिटायर्ड पुलिसकर्मी गुरमीत सिंह पिंकी के आरोप के बाद उनके खिलाफ 29 साल पुराने मामले में एफआईआर आर दर्ज की गई है। यह पूरा मामला राजनीतिक रंजिश के चलते उन्हें फंसाने के लिए दर्ज किया गया है। इस मामले में 11 मई को मोहाली की जिला अदालत ने उन्हें अग्रिम जमानत दे दी थी। जिसके बाद पुलिस ने एफआईआर में में हत्या की धाराओं को जोड़ दिया। इसके चलते 1 सितंबर को मोहाली अदालत ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया। याचिका में मोहाली अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए अग्रिम जमानत दिए जाने की मांग की गई है। 1991 में सुमेध सिंह सैनी जब चंडीगढ़ के एसएसपी थे तब यहां के एक आतंकी हमले की जांच के दौरान पुलिस ने बलवंत सिंह मुल्तानी को हिरासत में लिया था। आरोप है कि सैनी के आदेश पर पुलिस ने सेक्टर 11 और 17 के थाने में उसे बुरी तरह टॉर्चर किया था। बाद में उसके शव को पुलिस ने ठिकाने लगा दिया।

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