कांग्रेस आलाकमान द्वारा जुलाई में पंजाब कांग्रेस की कलह के खात्मे के लिए कई बड़े फेरबदल के संकेतों के बीच कांग्रेस सरकार और संगठन की इन दिनों नींद उड़ी हुई है कि गाज किस पर गिरेगी। कौन गिरेगा कौन उठेगा? सुनील जाखड़ अध्यक्ष पद पर रहेंगे या हटेंगे? किसका मंत्री पद छिनेगा,किसे मंत्री पद मिलेगा? विधायक नवजोत सिद्धू कैप्टन अमरिंदर सिंह के समांतर किसी अहम औहदे पर होंगे? इन तमाम सवालों के जवाब अगले 10 दिन में सामने आ सकते हैं, पर इन 10 दिनों में कैप्टन से लेकर उनके विरोधी खेमों में हलचल है। कैप्टन के खिलाफ बड़बोले सिद्धू के भी तेवर बदले हुए हैं। अपने टि्वटर वार पर सिद्धू ने कैप्टन और कांग्रेस को छोड़ अब अकाली दल के प्रमुख सुखबीर बादल को निशाने पर लिया है। सिद्धू को उम्मीद कोई अहम औहदा मिलने की है वे फिलहाल किसी तरह की आलोचना से बच रहे हैं। कैप्टन के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले सिद्धू की भी हाईकमान खिंचाई कर चुका है।
सीएम कैप्टन तीहरे दबाव से गुजर रहे हैं। संगठन और सरकार में संतुलन के अलावा उन्हें आलाकमान की उम्मीदों पर भी खरा उतरना है। अगले एक महीने में संगठन और सरकार में कलह को सुलह में बदलने और अगले चार महीने में 2017 के चुनावी घोषणा पत्र के तमाम वादे पूरे करने बारे आलाकमान को रिपोर्ट देनी है। इस बारे मीडिया प्रेस कांफ्रेंस में भी खुलासा करना है कि 2022 के चुनाव से पहले पार्टी अपने वादे 100 फीसदी पूरे करके मैदान में उतरेगी।
पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ के मुताबिक पार्टी आलाकमान नहीं चाहता कि चुनाव से 8 महीने पहले कोई नेता पार्टी छोड़ कर जाए। जाखड़ का कहना है कि जल्द ही पार्टी में सब कुछ ठीक हो जाएगा और सब मिलकर पूरी ताकत से कैप्टन अमरिदंर की अगुवाई में 2022 का चुनाव जीतेंगे। इधर, कैप्टन के एक करीबी के मुताबिक आलाकमान भी नवजोत सिंह सिद्धू को किसी भी कीमत पर पार्टी से अलग करने को तैयार नहीं है। सिद्धू की नाराजगी दूर करने के लिए प्रदेश कांग्रेस व सरकार में उन्हें सम्मानजनक स्थान देने की तैयारी है। नवजोत सिद्धू के आम आदमी पार्टी में जाने और मुख्यमंत्री चेहरा होने की चर्चाओं के बीच कांग्रेस आलाकमान सावधानी बरत रहा है। इसलिए कैप्टन और सिद्धू के बीच ओहदे की लड़ाई को खत्म करने के लिए दोनों को समांतर महत्व दिया जा सकता है। हालांकि कैप्टन किसी भी सूरत में चार पांच दशक पुराने कांग्रेसी नेताओं की पार्टी के प्रति वफादारी की कीमत पर साढ़े चार साल पहले कांग्रेस में आए सिद्धू को अहम औहदा नहीं देना चाहते पर आलाकमान आगामी विधानसभा चुनाव में दोनों ही नेताओं को बराबरी की जिम्मेदारियां सौंपते हुए आगे बढ़ाने की तैयारी में है। कांग्रेस सरकार और पार्टी में सुलह और 2022 के विधानसभा चुनाव में जीत के लिए कैप्टन और सिद्धू पर पार्टी हाईकमान की बात मानने का दबाव बनाया जा रहा है।