पंजाब में रेल यातायात को बाधित करने के मुद्दे पर किसान संगठनों और सरकार के बीच शुक्रवार को हुई वार्ता बेनतीजा रही तथा दोनों ही पक्ष अपने-अपने रुख पर अड़े रहे। सरकार ने किसान संगठनों के साथ बैठक में मजबूती से अपना पक्ष रखा और कहा कि कृषि उसकी सर्वोच्च प्राथमिकता है।
शुक्रवार को हुई बैठक में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री पीयूष गोयल तथा उद्योग एवं वाणिज्य राज्य मंत्री सोम प्रकाश और पंजाब के किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
बताया जा रहा है कि करीब छह से सात घंटे तक चली बैठक के दौरान दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के रुख को सुना और पंजाब में रेल सेवा को बहाल करने के लिए समाधान पर पहुंचने की कोशिश की। पंजाब में फिलहाल रेल सेवा बाधित है।
कृषि मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, विज्ञान भवन में पूर्वाह्न क़रीब 11 बजे से शाम पांच बजे तक चली बैठक में कोई अंतिम निर्णय नहीं हो सका। किसान संगठनों ने भी बैठक की पुष्टि की है लेकिन कोई विशेष जानकारी नहीं दी है।
किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच शुक्रवार को किसानों की समस्याओं तथा कृषि सुधार कानूनों को लेकर लंबी बातचीत में सरकार ने कहा कि नये कृषि कानून ने किसानों को मनमानी कीमत और अन्य स्थानों पर अपनी उपज बेचने की आज़ादी दी है। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीद जारी रहेगी और मंडी व्यवस्था भी कायम रहेगी। किसानों की आय बढ़ाने के लिए देश में 10 हजार किसान उत्पादक समूहों का गठन किया जा रहा है। इन्हें हर प्रकार की सहायता दी जाएगी।
भारतीय किसान मंच के प्रमुख जत्थेदार बूटा सिंह शादीपुर ने बैठक के बाद कहा, " बैठक बेनतीजा रही और हमारा पक्ष सुनने के बाद मंत्रियों ने कहा कि वे मुद्दे का समाधान करने के लिए जल्द दुबारा मिलेंगे।" उन्होंने कहा कि किसान संघ पंजाब में मालगाड़ियों की बहाली चाहते हैं जो नाकेबंदी की वजह से बंद हैं। पंजाब में तीन नए कृषि कानूनों को लेकर किसानों के आंदोलन की वजह से रेल सेवा बंद है।
बहरहाल, केंद्र सरकार नाकेबंदी को खत्म करना तथा यात्री और मालगाड़ी सेवा शुरू करना चाहती है। किसान संघ 18 नवंबर को चंडीगढ़ में बैठक करेंगे जिसमें मुद्दे पर आगे की रणनीति पर चर्चा की जाएगी। सूत्रों ने बताया कि दोनों पक्ष नए कृषि कानूनों पर अपने-अपने रुख पर अड़े रहे। उन्होंने कहा कि मंत्रियों और सरकारी अधिकारियों ने किसान नेताओं को यह समझाने की कोशिश की कि ये कानून क्यों अहम हैं और कृषि क्षेत्र के लिए कितने लाभकारी हैं।
बहरहाल, किसान अपने इस रुख पर अड़े रहे कि इन अधिनियमों को रद्द किया जाना चाहिए और की जगह अन्य नए कानून लाए जाने चाहिए जिनमें पक्षकारों के साथ ज्यादा मशविरा किया जाए। किसानों ने एमएसपी की गारंटी की भी मांग की। सरकारी सूत्रों ने कहा कि खरीद स्तर पर एक विस्तृत प्रस्तुति दी गई लेकिन किसी सहमति पर नहीं पहुंचा जा सका क्योंकि किसान संघ अपने रुख पर अड़े रहे।
कुछ दिन पहले कृषि सचिव संजय अग्रवाल के साथ भी किसान संगठनों की बैठक हुई थीं लेकिन कोई निर्णय नहीं हो सका था। गौरतलब है कि पंजाब के किसान संगठन कृषि सुधार कानूनों के विरोध में लंबे समय से आन्दोलन कर रहे हैं।