पंजाब कांग्रेस में लंबे समय से चले आ रहे घमासान और अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए कांग्रेस पार्टी ने जीत सुनिश्चित करने को फिर से प्रशांत किशोर को जोड़ने का मन बनाया है। आंतरिक कलह से जूझ रही कांग्रेस ने आगामी विधानसभा चुनाव में फिर से चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर को फिर से अपने साथ जोड़ सकती है। खुद मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने इस बात की पुष्टि की है कि आलाकमान ने उन्हें प्रशांत किशोर से चुनावी रणनीति साझा करने की हरी झंडी मिली है। अगर प्रशांत किशोर पंजाब में कांग्रेस के लिए फिर से चुनावी रणनीति बनाने को तैयार होते हैं तो एक तरह से चुनावी रणनीतिकार के रूप में उनकी वापसी होगी, क्योंकि कुछ महीने पहले ही उन्होंने इस पारी से विराम लेने का ऐलान किया था।
मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने आजतक से बात करते हुए बताया कि उन्हें हरीश चौधरी ने चुनावी रणनीति प्रशांत किशोर से साझा करने की सलाह दी है। हरीश चौधरी ने चुनावी रणनीति प्रशांत किशोर से साझा करने की सलाह दी है। हरीश चौधरी पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हैं। चौधरी को कुछ दिन पहले ही हरीश रावत की जगह पंजाब कांग्रेस की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
चन्नी के इस बयान ने इस सवाल को भी खड़ा कर दिया है क्या प्रशांत किशोर दोबारा अपने काम पर लौट आए हैं। क्योंकि इस साल मई में पश्चिम बंगाल समेत 5 राज्यों के चुनावी नतीजे सामने आने के बाद उन्होंने संन्यास की घोषणा कर दी थी। उस समय आजतक से बात करते हुए पीके ने अपने इस्तीफे का ऐलान करते हुए कहा था कि 'अब तक लोग मुझे जिस रोल में देखते आ रहे थे, वो मैं अब नहीं निभाऊंगा।'
पीके से जब पूछा गया कि उन्होंने ये फैसला क्यों किया तो उन्होंने बताया था कि 'मैं कभी भी ये काम नहीं करना चाहता था, लेकिन मैं आ गया और मैंने अपने हिस्से का काम कर लिया है। पीके ने बताया कि I-PAC में मेरे से काफी ज्यादा काबिल लोग हैं, वो ज्यादा अच्छा काम करेंगे, इसलिए मुझे लगा कि अब मुझे ब्रेक ले लेना चाहिए।'
इतना ही नहीं, उन्होंने पंजाब के पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के प्रधान सलाहकार के पद से भी ब्रेक लेने की बात कहते हुए अगस्त में इस्तीफा दे दिया था. अपना इस्तीफा देते हुए पीके ने कहा था कि वो सक्रिय राजनीति से अस्थायी तौर पर ब्रेक चाहते हैं, इसलिए उन्हें उनके पद से मुक्त किया जाए।