कमजोर पड़ी कांग्रेस के लिए पहले अपने बिखरते कुनबे को 2024 तक समेटे रखना एक बड़ी चुनौती है
भाजपा के लिए असंभव राज्यों में एक पंजाब है, जहां 2014 या 2019 में उसे न तो कुछ खास हासिल हुआ, न ही इस साल हुए विधानसभा चुनावों में। लेकिन 2019 में जैसे अलंघ्य बंगाल में उसने अपनी पैठ बढ़ाई उसी तरह 2024 के लोकसभा चुनावों में पंजाब पर उसकी नजर है जहां उसका मामूली जनाधार है। इसके लिए वह वही तरीके अपनाने की योजना बनाती दिख रही है जो उसने बाकी जगहों या कहिए बंगाल में अपनायी। पंजाब में कांग्रेस पस्त और अकाली दल लगभग साफ हो गया है। ऐसे में भाजपा की योजना पूर्व कांग्रेसियों और पूर्व अकालियों को जोड़कर अपनी राह बनाने की है। यह हाल में हुई अमित शाह के साथ भाजपा नेताओं की बैठक से भी जाहिर है जिसमें कथित तौर पर ऐसे पांच राज्यों में करीब 144 सीटों पर निशाना साधने की बात की गई।
पंजाब में लोकसभा की 13 सीटें ही हैं पर भाजपा के लिए बिहार, बंगाल में होने वाले संभावित घाटे की पूर्ति के लिए तो एक-एक सीट जरूरी है। वह तीन दशक तक पंजाब के पंथक सियासी गठबंधन में शिरोमणि अकाली दल की बी टीम रही है, लेकिन गठबंधन टूटने के बाद और राज्य के मौजूदा परिदृश्य में कांग्रेस और अकाली के बागियों को भाजपा थोक भाव में अपनी झोली में भर रही है।
पार्टी ने इसके लिए दूसरे तरीके भी अपनाए हैं। वह हिंदुत्व के सहारे ध्रुवीकरण की चुनावी बिसात बिछाने के बाद पंजाब के सिख मतदाताओं का भी ध्रुवीकरण करने की कोशिश कर रही है, जहां सिख बहुसंख्यक (58 फीसदी) हैं। 2019 में गुरु नानक देव जी की 550वीं जयंती के अवसर पर पंजाब के बटाला के डेरा बाबा नानक से पाकिस्तान के करतारपुर साहिब की सीधी यात्रा के लिए कॉरीडोर खोले जाने के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल हुए थे। 2016 में गुरु गोबिंद सिंह जी की 350वीं जयंती के मौके पर विशेष आयोजन के लिए भी 100 करोड़ रुपये का प्रावधान केंद्रीय बजट में किया गया। सिख समुदाय को अपने साथ जोड़ने की कोशिश पार्टी के मिशन 2024 के एजेंडे में है।
कमजोर पड़ी कांग्रेस के लिए पहले अपने बिखरते कुनबे को 2024 तक समेटे रखना एक बड़ी चुनौती है
मोहाली के मुल्लापुर में होमी भाभा कैंसर हॉस्पिटल एवं रिसर्च सेंटर के उद्घाटन के लिए 24 अगस्त को आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्टी नेताओं के साथ बैठक में केंद्र सरकार की कल्याणकारी नीतियों का लाभार्थियों के घर-घर तक जाकर प्रचार करने के लिए बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं की तैनाती का संदेश दिया। भाजपा से जुड़े सूत्रों के मुताबिक 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर पार्टी के पंजाब संगठन में अक्टूबर तक बड़े बदलाव के संकेत हैं। चुनाव से साल भर पहले यहां पार्टी अपने उम्मीदवार तय करने की तैयारी में हैं। मुकाबले में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल से बराबर की टक्कर है।
दरअसल पंजाब में 2022 के पंजाब विधानसभा चुनाव में 92 सीटों पर अप्रत्याशित जीत दर्ज करने वाली अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के लिए लोकसभा चुनाव में यही प्रदर्शन बरकरार रखना बड़ी चुनौती जैसा है। 16 मार्च को भगवंत मान की अगुवाई में सरकार के गठन के तीन महीने बाद ही संगरूर लोकसभा सीट के उपचुनाव में उसे शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के अध्यक्ष सिमरनजीत सिंह मान से बड़ी हार का सामना करना पड़ा। लोकसभा में आप की यह एकमात्र सीट भगवंत मान के मुख्यमंत्री बनने से खाली हुई थी। 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले किए वादों पर खरा न उतरने से उसके खिलाफ मोहभंग की सी स्थिति है, हालांकि ‘आप’ के राज्यसभा सदस्य राघव चड्ढा का कहना है, ‘‘पहले बोला जाता था कि मोदी बनाम कौन, अब कहा जा रहा है- मोदी बनाम केजरीवाल। पंजाब में हमारी पार्टी का प्रदर्शन 2024 के लोकसभा चुनाव में भी 2022 के विधानसभा चुनाव जैसा रहेगा। जनता को दी गई छह गारंटियों में 300 यूनिट मुफ्त बिजली, मुफ्त स्वास्थ्य सेवा के लिए मोहल्ला क्लीनिक और कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने की गारंटी सरकार ने पांच महीने के कार्यकाल में ही पूरी कर दी है।’’
उधर, 2022 के विधानसभा चुनाव में तीन सीटों पर सिमटा शिरोमणि अकाली दल नए सिरे से संगठन खड़ा करने की तैयारी कर रहा है। पार्टी अध्यक्ष सुखबीर बादल ने आउटलुक से कहा, ‘‘बूथ स्तर के आगे सर्किल और जिला स्तर पर अध्यक्ष नियुक्त किए जाएंगे। एक परिवार में एक टिकट और एक चुनाव का फाॅर्मूला सख्ती से लागू होगा। विधानसभा के लिए 50 फीसदी सीटें 50 की उम्र तक के नेताओं और कार्यकर्ताओं के लिए आरक्षित की जाएंगी। पांच साल के कार्यकाल के लिए पार्टी अध्यक्ष दो बार से अधिक समय तक अध्यक्ष पद पर नहीं रह सकेगा। पार्टी अध्यक्ष पर भी कार्रवाई का अधिकार पार्टी के संसदीय बोर्ड को होगा।’’
सितंबर 2021 में कैप्टन अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने के बाद से कमजोर पड़ी कांग्रेस के लिए पहले अपने बिखरते कुनबे को 2024 तक समेटे रखना एक बड़ी चुनौती है। कैप्टन अमरिंदर अपनी पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस का भाजपा में विलय करने की तैयारी में हैं, वहीं भाजपा में शामिल हुए कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ समेत पांच पूर्व कैबिनेट मंत्रियों में बलबीर सिद्धू, राणा गुरमीत सोढ़ी, गुरप्रीत कांगड़, श्याम सुंदर अरोड़ा, राजकुमार वेरका और पूर्व विधायक फतेह बाजवा भाजपा के नए संगठन में अहम जिम्मेदारियों के साथ लोकसभा के उम्मीदवारों की सूची में शामिल हो सकते हैं। कैप्टन सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे बलबीर सिंह सिद्धू ने आनंदपुर साहिब सीट से लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है।
कांग्रेसियों को थोक में अपने पाले में ले रही पंजाब भाजपा के महासचिव जीवन गुप्ता का दावा है, ‘‘पंजाब में भाजपा तेजी से अपना जनाधार बढ़ा रही है। हाल ही के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने अपना वोट प्रतिशत बढ़ाया है। 2024 में पार्टी पूरी ताकत से पंजाब की सभी 13 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इसके लिए पार्टी में कई बड़े चेहरे, जो कांग्रेस को छोड़कर आए हैं, उन्हें अहम जिम्मेदारी दी जाएगी। ’’
इसकी वजह भी है। 117 में से 73 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली भाजपा मात्र दो सीटें जीतकर 6.6 फीसदी वोटों पर सिमट गई थी। उसके 73 में से 54 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई। 2019 के लोकसभा चुनाव में अकाली दल के साथ गठबंधन में भाजपा ने अपने हिस्से की तीन सीटों में से दो होशियारपुर और गुरदासपुर पर जीत दर्ज की थी। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा जैसे लो प्रोफाइल नेता को पार्लियामेंटरी बोर्ड में जगह देने की वजह भी यही है। भाजपा नई प्रदेश कार्यकारिणी में 50 फीसदी सिख चेहरे शामिल कर सकती है। 13 लोकसभा सीटों में से अधिकांश पर मजबूत सिख उम्मीदवारों की सूची तैयार की जा रही है। इन 13 में से 9 लोकसभा सीटों की जिम्मेदारी पार्टी ने तीन केंद्रीय मंत्रियों को दी है। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री और पंजाब भाजपा प्रभारी गजेंद्र शेखावत के पास आनंदपुर साहिब, होशियारपुर और बठिंडा का प्रभार है। केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल अमृतसर, जालंधर और गुरदासपुर संभाल रहे हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया पटियाला, संगरूर और लुधियाना के प्रभारी हैं। बची चार सीटों पर भी जल्द ही प्रभारी नियुक्त होंगे।
राजनीतिक विश्लेषक एमएस चोपड़ा कहते हैं, ‘‘पंजाब की तासीर में भाजपा के लिए यह इतना आसान नहीं होगा। बेरोजगारी और महंगाई जैसे मसले ही उसे चुनौती दे सकते हैं।’’ 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए दो साल से भी कम समय बचा है। भारत जोड़ो यात्रा के जरिये कांग्रेस के राहुल गांधी पंजाब में अपने कुनबे को बिखरने से कितना बचा पाते हैं, राज्य में 2024 का लोकसभा चुनाव के नतीजे इसी पर निर्भर रह सकते हैं।