हरीश मानव
पंजाब में मार्च 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने किसानों के बीच अपनी सियासी जमीन तैयार करने की पहल कर दी है। पंजाब विधानसभा विशेष सत्र में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदंर सिंह ने मंगलवार को सदन में केंद्रीय कृषि विधेयकों को निरस्त करने और उनकी जगह राज्य के अपने कृषि विधेयक लागू करने का प्रस्ताव पेश किया। पंजाब देश का ऐसा पहला राज्य है जो केंद्र के कृषि विधेयकों की काट में अपने विधेयकों का प्रस्ताव विधानसभा में लाया है। विधेयक में पंजाब सरकार ने किसानों पर गेहूं व धान एमएसपी से कम भाव पर खरीदने का दबाव बनाने वालों के लिए तीन साल की कैद का प्रावधान किया है। विधेयक में कहा गया है कि पंजाब में धान व गेहूं एमएसपी से कम भाव पर नहीं बिकेगा। जमाखोरी करने वाले किसी भी सूरत में किसानों के कल्याण का हनन नहीं करेंगे। कर्ज वसूली के लिए ढ़ाई एकड़ से कम जमीन के मालिक किसान की जमीन पंजाब की कोई भी कोर्ट कुर्क नहीं करेगी। पंजाब सरकार के इस एतिहासिक कदम पर किसानों ने आशंका जताते हुए कहा है कि कैप्टन सरकार के इस कदम से पंजाब के किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता। इधर सदन में बिजली संशोधन बिल 2020 खिलाफ भी प्रस्ताव पेश किया गया। इसी के साथ मुख्यमंत्री ने कहा कि बिजली शोध बिल को सरकार खारिज कर रही है। सदन में विशेष प्रावधान एव पंजाब संशोधन विधेयक भी पास किया गया है।
केंद्र के कृषि विधेयक की काट में राज्य के कृषि विधेयक के प्रारुप की मांग शिराेमणी अकाली दल,आम आदमी पार्टी और किसान संगठन सोमवार से कर रहे थे पर उन्हंे प्रारुप नहीं दिया गया। विरोध में शिरोमणी अकाली दल और आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस सरकार के खिलाफ धरना भी दिया। आम आदमी पार्टी के विधायकों ने साेमवार की रात विधानसभा परिसर में धरने देकर गुजारी। इधर सोमवार सांय किसान संगठनों ने भी मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ हुई बैठक में राज्य के कृषि विधेयक के प्रारुप की मांग की थी। प्रारुप न दिए जाने पर किसान संगठन भी सरकार के इस रवैय से नाराज हैं। विपक्षी दलों और किसान संगठनों की प्रारुप न दिए जाने पर नाराजगी के जवाब में मंगलवार को सदन मंे मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि विशेष सत्र में लाए जाने वाले विधेयकों का प्रारुप सदन में पेश होने से पहले सदन के बाहर नहीं दिया जाता।
केंद्र के तीनों कृषि विधेयकों को खारिज करते हुए पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिदंर सिंह ने कहा कि किसानों को विश्वास में लिए बगैर लाए गए तीनों कृषि विधेयक किसान विरोधी है जिन्हें पंजाब किसी भी सूरत में लागू नहीं करेगा। अमरिंदर ने कहा कि किसानों के हितों की रक्षाा के लिए वह मुख्यमंत्री पद और राज्य में कांग्रेस की सरकार को भी दाव पर लगाने को तैयार हैं पर वे संघर्ष में किसानों के साथ खड़े हैं। उन्होंने कहा कि इन कृषि विधेयकों को लाने वाली केंद्र सरकार उन 6 फीसदी किसानों को भूल गई है जो पंजाब व हरियाणा के हैं और एमएसपी के लिए ही उन्होंने केंद्र का खाद्यान्न भंडार सरप्लस किया है। उन्होंने कहा कि केंद्र ने यदि किसानोंे के हितों के लिए तीनों कृषि विधेयक वापस नहीं लिए तो पंजाब में किसानों का आंदोलन और तेजी से बढ़ेगा।
कठोर कदम से किसानों में डर,आशंका
इस बीच कुछ किसान संगठनों ने पंजाब सरकार द्वारा केंद्र के कृषि विधेयकांे को निरस्त कर अपने कृषि विधेयक लाए जाने पर आंशका जताई है। आउटलुक से बातचीत में बीकेयू(उगरांह)के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरीकलां ने कहा कि पंजाब से 90 फीसदी गेहूं और 70 फीसदी धान की एमएसपी पर खरीद केंद्र सरकार की एफसीआई करती है। अब केंद्र के कृषि विधेयकों को खारिज करने से क्या एफसीआई पंजाब में गेहूं व धान की खरीद के लिए आएगी। एमएसपी से कम भाव पर तीन साल कैद की सजा के सख्त प्रावधान से भी प्राइवेट खरीदार पंजाब की मंडियों से दूर हो जाएंगे। कोकारीकलां ने आशंका जताई कि कैप्टन सरकार द्वारा केंद्र के कृषि िवधेयकों को निरस्त करने और उनकी जगह राज्य के अपने कृषि विधेयक लाए जाने से पंजाब के किसानों को भारी नुकसान होगा। उन्हांेने कहा कि केंद्रीय खरीद एजेसियों के एमएसपी पर पंजाब से गेहूूं व धान की खरीद से दूर होने की सूरत में क्या कांग्रेस सरकार एमएसपी पर खरीद तय करेगी। उन्होंने कहा कि कैप्टन सरकार को कृषि विधेयक वापस लिए जाने के लिए केंद्र सरकार पर दबाव बनाना चाहिए था।