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राधिका यादव मर्डर: पिता ने ही बेटी को मारा, जांच में पुलिस का बड़ा खुलासा

गुरुग्राम में 25 वर्षीय उभरती हुई टेनिस खिलाड़ी राधिका यादव की गोली मारकर हत्या ने पूरे देश को झकझोर...
राधिका यादव मर्डर: पिता ने ही बेटी को मारा, जांच में पुलिस का बड़ा खुलासा

गुरुग्राम में 25 वर्षीय उभरती हुई टेनिस खिलाड़ी राधिका यादव की गोली मारकर हत्या ने पूरे देश को झकझोर दिया है। चौंकाने वाली बात यह है कि इस हत्या का आरोपी कोई और नहीं, बल्कि खुद उसका पिता है। दीपक यादव (राधिका के पिता) ने वारदात के बाद कहा, "मैंने लड़की को मार दिया।"

पुलिस की रिपोर्ट के मुताबिक, यह कोई तात्कालिक गुस्से का नतीजा नहीं था, बल्कि एक सुनियोजित हत्या थी। घटना गुरुवार सुबह लगभग 10:30 बजे की है, जब राधिका अपने घर में रसोई में खाना बना रही थी। उसी समय उसके पिता ने एक लाइसेंसी रिवॉल्वर से पांच गोलियां चलाईं, जिनमें चार उसकी पीठ पर लगीं। राधिका को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी।

जांच में सामने आया है कि पिता को अपनी बेटी की "स्वतंत्रता, प्रसिद्धि और कमाई" से परेशानी थी। वह चाहते थे कि राधिका टेनिस छोड़कर एक पारंपरिक जीवन जिए। पड़ोसियों के ताने और समाज के 'मर्दानगी' वाले व्यंग्य भी पिता के अहम को ठेस पहुंचा रहे थे। उन्होंने कई बार बेटी से उसकी टेनिस अकादमी बंद करने की बात कही थी। 

पुलिस के अनुसार, राधिका किसी स्थायी अकादमी की मालिक नहीं थी, बल्कि बुकिंग के ज़रिए प्रशिक्षण देती थी। लेकिन पिता इस व्यवस्था को स्वीकार नहीं कर पा रहे थे।

इस बीच, यह भी सामने आया कि दीपक यादव ने घटना वाले दिन अपने छोटे बेटे को दूध लाने भेजा, ताकि राधिका घर पर अकेली रहे और वो वारदात को अंजाम दे सके। इससे स्पष्ट है कि यह हत्या पूर्व नियोजित थी।

इस घटना ने एक बार फिर ऑनर किलिंग की मानसिकता को उजागर किया है, जिसमें परिवार की ‘इज़्ज़त’ के नाम पर महिलाओं की स्वतंत्रता और जीवन को खत्म कर दिया जाता है। खेल जगत, महिला अधिकार संगठनों और समाजशास्त्रियों ने इस घटना की कड़ी निंदा की है। राधिका, जो विंबलडन खेलने का सपना देख रही थी, आज हमारे सामाजिक ढांचे की क्रूरता का शिकार बन गई।

पुलिस ने दीपक यादव को गिरफ्तार कर लिया है और उसके खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया गया है। अब सवाल यह है — क्या बेटी की सफलता भी पिता की हत्या का कारण बन सकती है? और यदि हाँ, तो क्या हम वाकई एक प्रगतिशील समाज की ओर बढ़ रहे हैं?

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