कांग्रेस ने मंगलवार को सुप्रीम इंफ्रास्ट्रक्चर इंडिया लिमिटेड (एसआईआईएल) में अपने बकाया ऋण को इक्विटी में बदलने के एसबीआई के कथित निर्णय की आलोचना की और भारतीय रिजर्व बैंक से इस मामले में हस्तक्षेप करने और एसबीआई की निर्णय लेने की प्रक्रिया की जांच करने का आग्रह किया।
कांग्रेस महासचिव (प्रभारी संचार) जयराम रमेश ने एक्स पर एक मीडिया रिपोर्ट साझा की, जिसमें दावा किया गया है कि भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) डिफॉल्टर एसआईआईएल के ऋण पुनर्गठन में दोहरी भूमिका निभाएगा, जिसमें देश का सबसे बड़ा सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक एसआईआईएल का प्राथमिक ऋणदाता होने से इक्विटी शेयरधारक बनने की ओर अग्रसर होगा।
रमेश ने एक्स पर कहा, "एक असाधारण कदम के तहत, एसबीआई ने दिवालिया घोषित हो चुकी कंपनी सुप्रीम इंफ्रास्ट्रक्चर इंडिया लिमिटेड (एसआईआईएल) में अपने बकाया कर्ज को इक्विटी में बदलने का फैसला किया है। एसबीआई समेत कर्जदाताओं को कर्ज पर 93.45% की कटौती का सामना करना पड़ा है।"
कांग्रेस महासचिव ने कहा, "यह व्यवस्था भारत के कॉर्पोरेट ऋण परिदृश्य में एक खतरनाक मिसाल कायम करती है - यह अन्य चूककर्ता कंपनियों को इसी तरह के सौदे करने के लिए प्रोत्साहित करती है, जहां वे महत्वपूर्ण चूक के बाद भी नियंत्रण और मूल्य बनाए रख सकते हैं।"
रमेश ने कहा कि इससे भारत के दिवालियेपन समाधान ढांचे की प्रभावशीलता और संकटग्रस्त परिसंपत्तियों के प्रबंधन में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की भूमिका पर सवाल उठते हैं।
उन्होंने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि एसबीआई सार्वजनिक धन की वसूली को प्राथमिकता देने के बजाय चूककर्ता उधारकर्ता (एसआईआईएल) के हितों के साथ तालमेल बिठा रहा है।
रमेश ने इस बात पर जोर दिया कि यह सुनिश्चित करने की सख्त जरूरत है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ऋण समाधान के प्रति अपने दृष्टिकोण में सख्त अनुशासन बनाए रखें और वित्तीय प्रणाली में नैतिक खतरे पैदा करने से बचें।
उन्होंने कहा कि इस ऋण पुनर्गठन और इक्विटी निवेश की असामान्य प्रकृति तत्काल नियामक जांच की मांग करती है। रमेश ने कहा, "भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को इस मामले में हस्तक्षेप कर एसबीआई की निर्णय लेने की प्रक्रिया की जांच करनी चाहिए।"