सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (CAT) ने बेंगलुरु भगदड़ मामले में आरसीबी (रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर) को कड़ी फटकार लगाई है। ट्रिब्यूनल ने कहा कि पुलिस कोई जादूगर या भगवान नहीं है। भगदड़ के लिए पूरी तरह से आरसीबी जिम्मेदार है।
18 साल बाद आईपीएल ट्रॉफी का सूखा खत्म करने के बाद, बैंगलोर मैनेजमेंट ने 4 जून को चिन्नास्वामी स्टेडियम में एक भव्य विक्ट्री सेलिब्रेशन का आयोजन किया था। आयोजन में मची भगदड़ में करीब 12 लोगों की मौत हो गई और 50 से अधिक लोग घायल हुए थे।
ट्रिब्यूनल ने तीखे शब्दों में कहा कि आरसीबी ने इस आयोजन की घोषणा बिना पुलिस को सूचित किए या अनुमति लिए सोशल मीडिया पर कर दी। ट्रिब्यूनल ने कहा, "उनके सोशल मीडिया पर एलान के बाद मौके पर भीड़ इकट्ठा होनी शुरू हो गई। समय की कमी के कारण पुलिस को सभी जरूरी कदम उठाने में देर हो गई।"
ट्रिब्यूनल के मुताबिक, यह आयोजन 4 जून को होना था, और 3 जून से ही चिन्नास्वामी स्टेडियम के आसपास भीड़ जुटने लगी थी। उसी दिन एक और सरकारी कार्यक्रम का आयोजन भी हो रहा था, जिससे पुलिस को संसाधनों की कमी का सामना करना पड़ा। वहीं, नोटिस की कमी के कारण पुलिस के लिए इतनी भारी संख्या में जुटी भीड़ को नियंत्रित करना बेहद मुश्किल हो गया।
इसमें कहा गया है, "पुलिस कर्मी भी इंसान हैं। वे न तो भगवान हैं, न ही जादूगर हैं, और उनके पास 'अलादीन का चिराग' जैसी कोई जादुई शक्ति नहीं है, जिससे केवल उंगली रगड़ने पर कोई भी इच्छा पूरी हो जाए।"
अदालत ने इस बात पर ज़ोर दिया कि सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त नोटिस और पूर्व समन्वय जरूरी है, और इस लापरवाही के लिए आरसीबी को ज़िम्मेदार ठहराया।
इसके अतिरिक्त, कैट ने वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी विकास कुमार विकास के खिलाफ कर्नाटक सरकार द्वारा जारी निलंबन आदेश को रद्द कर दिया है। भगदड़ के बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया था, और उन्होंने सरकार के 5 जून के आदेश को ट्रिब्यूनल में चुनौती दी थी। उस आदेश में तत्कालीन बेंगलुरु पुलिस आयुक्त बी. दयानंद और डीसीपी शेखर एच. टेक्कन्नावर का भी नाम शामिल था।