विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ब्रिटेन की अपनी यात्रा के दौरान नेताओं के समक्ष देश में खालिस्तान चरमपंथ का मुद्दा उठाया। साथ ही उन्होंने कहा कि उन्हें अभिव्यक्ति तथा बोलने की स्वतंत्रता के दुरुपयोग के प्रति सावधान रहना चाहिए। जयशंकर ने बुधवार को अपनी पांच दिवसीय ब्रिटेन यात्रा संपन्न की जिसे उन्होंने मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के लिए चल रही वार्ता में ‘पर्याप्त प्रगति’ के बीच ‘‘समयोचित’’ करार दिया।
उन्होंने रवानगी से पहले लंदन में भारतीय उच्चायोग में मीडिया से बातचीत में ब्रिटेन के कैबिनेट मंत्रियों तथा विपक्ष के नेताओं के साथ हुई बातचीत के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी। जयशंकर की ब्रिटेन के गृह मंत्री जेम्स क्लेवरली और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) टिम बैरो के साथ हुई बैठकों के दौरान, देश में खालिस्तान समर्थक चरमपंथ के बीच भारतीय राजनयिकों की सुरक्षा के बारे में भारत की चिंताओं पर विचार विमर्श हुआ।
विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘ हमारी चरमपंथ को लेकर तथा खालिस्तान का समर्थन करने वालों सहित विभिन्न ताकतों की ओर से कभी-कभार होने वाली हिंसक गतिविधियों को लेकर लंबे समय से चिंताएं हैं।’’
जयशंकर ने कहा, ‘‘ हम यहां की सरकार को यह समझाने का प्रयास करते रहे हैं कि हम सह लोकतंत्र होने के नाते यकीनन अभिव्यक्ति और बोलने की स्वतंत्रता के महत्व को समझते हैं, उन्हें इन स्वतंत्रताओं के दुरुपयोग के प्रति सावधान रहना चाहिए।’’
मार्च में ‘इंडिया हाउस’ में हुए हिंसक विरोध प्रदर्शन के संदर्भ में विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘स्थिति की गंभीरता को पहचाना गया है’’ और भारत की अपेक्षा यह है कि उसके राजनयिक मिशन को अपेक्षित सुरक्षा प्रदान की जाए ताकि वह अपना कामकाज बिना किसी बाधा के कर पाए, साथ ही ‘हिंसा और चरमपंथ की वकालत के खिलाफ कड़ा रुख’ रहेगा