मुख्य न्यायाधीश एचएल दत्तू की अध्यक्षता वाली खंड पीठ ने लिपिका के वक्तव्य का संज्ञान लेते हुए इस संबंध में विधायक द्वारा दाखिल याचिका का यह कहते हुए निपटारा कर दिया कि अब यह अप्रासंगिक है क्योंकि याचिकाकर्ता ने पहले ही समर्पण कर दिया है। सुनवाई के दौरान पीठ ने लिपिका से पूछा कि क्या वह मध्यस्थता के लिए तैयार हैं तो उनका जवाब न था। इसके बाद पीठ ने भारती के वकील विजय अग्रवाल से कहा कि वह नियमित जमानत के लिए निचली अदालत में ताजा याचिका दाखिल करें। अगर दरख्वास्त की जाती है तो हम निचली अदालत से कहेंगे कि इस पर शीघ्र विचार करे।
सुप्रीम कोर्ट ने एक अक्तूबर को भारती को अंतरिम जमानत देने की मौखिक याचिका को ठुकरा दिया था और आज लिपिका की मौजूदगी में मध्यस्थता की संभावना के बारे में उनकी राय जानने की बात कही थी। भारती को कल निचली अदालत ने एक दिन के लिए तिहाड़ जेल भेजा था। भारती के वकील ने एक दिन की न्यायिक हिरासत की मांग की थी क्योंकि भारती और लिपिका के बीच मध्यस्थता के संबंध में मामला सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में आज सूचीबद्ध था। हालांकि पुलिस ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत की मांगी थी।
गौरतलब है कि भारती ने 23 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट का रूख कर मामले में गिरफ्तारी से राहत मांगी थी। इससे पहले 22 सितंबर को दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी भारती की अग्रिम जमानत की याचिका ठुकरा दी थी और कहा था कि उनके खिलाफ आरोप बहुत गंभीर हैं और दस्तावेजी सुबूत के साथ हैं। लिपिका ने गत 10 जून को दिल्ली महिला आयोग में यह आरोप लगाते हुए एक शिकायत दर्ज कराई थी कि उनका पति 2010 में उनकी शादी के बाद से ही उन्हें प्रताडि़त कर रहा है। लिपिका ने इस संबंध में पुलिस में भी शिकायत दर्ज कराई थी। इसके बाद दिल्ली पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के अंतर्गत भारती के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी।