सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने गुरुवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक और उनके सहयोगियों को नजरबंदी से रिहा कर दिया गया है।
वरिष्ठ विधि अधिकारी ने यह भी कहा कि दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में सभा और विरोध प्रदर्शन पर रोक लगाने वाले दिल्ली पुलिस के आदेश को भी वापस ले लिया गया है।
मेहता ने यह बयान मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ के समक्ष दिया। पीठ वांगचुक की रिहाई की मांग करने वाली याचिकाओं और निषेधाज्ञा को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।
वांगचुक सहित लद्दाख के लगभग 120 लोगों को लद्दाख के लिए छठी अनुसूची का दर्जा देने की मांग को लेकर राजधानी की ओर मार्च करते समय पुलिस ने दिल्ली सीमा पर कथित तौर पर हिरासत में ले लिया।
छठी अनुसूची असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम राज्यों के जनजातीय क्षेत्रों को "स्वायत्त जिलों और स्वायत्त क्षेत्रों" के रूप में प्रशासन से संबंधित है।
एसजी मेहता ने कहा कि वांगचुक और उनके सहयोगियों को रिहा कर दिया गया है और जब तक वे किसी कानूनी प्रावधान का उल्लंघन नहीं करते हैं, तब तक उनकी आवाजाही पर प्रतिबंध नहीं लगाया जाएगा।
हालांकि, अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने सुनवाई के लिए एक अलग याचिका का उल्लेख करते हुए कहा कि ऐसे लोग हैं जो अभी भी प्रतिबंध के तहत हैं और उनकी आवाजाही स्वतंत्र नहीं है।