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राजस्थान के दस जिले बाढ़ की चपेट में, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ ने बचाई सैकड़ों जानें

राजस्थान सरकार ने प्रभारी मंत्रियों को भले ही बाढ़ प्रभावित जिलों में भेज दिया हो, मगर वे भी इस आपदा से प्रभावित लोगों की सीमित मात्रा में ही मदद का आश्वासन दे पा रहे हैं।
राजस्थान के दस जिले बाढ़ की चपेट में, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ ने बचाई सैकड़ों जानें

राजस्थान का दक्षिण-पश्चिमी हिस्सा बीते चार दिन से भयंकर बाढ़ की चपेट में है। यहां के करीब 10 जिलों में बाढ़ आया हुआ है, जिनमें से 5 जिले बुरी तरह से त्रस्त हैं। हालांकि एनडीआरएफ ओर एसडीआरएफ के अलावा जिला पुलिस ने पानी में फंसी सैकड़ों जानें बचाई हैं, लेकिन इसके बावजूद बीते चार दिन में अब तक कुल 35 लोगों की जान चली गई है। 
 
हालांकि राज्य सरकार ने अभी तक कुछ ही मौत होने की बात स्वीकार की है, लेकिन स्थानीय स्तर पर अलग-अलग जगह से जुटाए गए आंकड़ों के अनुसार, अब तक तीन दर्जन के करीब जानें जा चुकी हैं। सबसे ज्यादा जालोर, सिरोही और पाली जिला प्रभावित हैं। यहां पर तकरीबन सभी गांवों में कमोबेश एक सी स्थिति है। जालोर का सड़क मार्ग से अन्य जिलों से संपर्क पूरी तरह टूट चुका है, जिससे राहत एवं बचाव कार्यों में दिक्कतें हो रही हैं।
 
नक्की झील की दीवार टूटी
 
माउंट आबू की विश्व प्रसिद्ध नक्की झील में पानी की आवक अधिक होने के कारण उसकी दीवार टूट गई है, जहां से प्रति मिनट हजारों लीटर पानी का बहाव हो रहा है। मौसम विभाग के अनुसार आबू में कल शाम तक कुल 733 मिलीलीटर बारिश दर्ज की गई है। आबू की पहाड़ियों में लोगों की आवाजाही नहीं के बराबर हो गई है। जिला प्रशासन ने लोगों को दुर्गम इलाकों में जाने से मना किया है। जहां पर भूस्खलन होने की संभावना ज्यादा है, उन इलाकों में सेना ने पर्यटकों के जाने से रोक लगा दी है।
 
अब जोधपुर और बाड़मेर भी बाढ़ में घिरे
 
चार दिन तक तीन जिलों की गंभीर स्थिति से जूझ रही सेना के लिए अब जोधपुर व बाड़मेर जिलों में भी राहत सामग्री पहुंचाने की चुनौती में आ गई है। यहां पर कल सुबह से ही तेज बारिश ने गांवों और शहरों को लबालब कर दिया है। जानकारी के अनुसार बाड़मेर के कवास का वह क्षेत्र फिर से भरने की कगार पर है जहां पर साल 2006 में भरने से भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ा था।
 
10 में से पांच जिलों में हालात बेकाबू
 
हालांकि प्रदेश के कुल 10 जिले मूसलाधार बारिश के बाद भारी बारिश या बाढ़ की चपेट में हैं। लेकिन इनमें से 5 जिलों में हालात बेकाबू होते जा रहे हैं। सिरोही, पाली, जालोर, बाड़मेर और जोधुपर में बहने वाली सभी नदियां बाढ़ के कारण खतरे के निशान से उपर पहुंच चुकी है। इन जिलों में कुछ जगह पर मवेशी तेज बहाव में बह गए हैं। बड़े-बड़े कमान जमींदोज हो गए हैं। कच्चे मकानों का तो नामों-निशान ही मिटने की कगार पर है। मजेदार बात ये है कि सरकार ने जिन लोगों के मकान टूट गए हैं, उनको 3800 रुपए की मदद देने का आश्वासन दिया है। सोचने वाली बात ये है कि आज के जमाने में 3800 रुपए में कहां पर मकान बन पाते हैं, लेकिन दसकों पुराने नियम बने हुए हैं। जिसके चलते सरकार की ओर से भेजे गए मंत्री भी इससे अधिक सहायता देने की स्थिति में नहीं हैं।
 
समय पर नहीं चेता प्रशासन
 
हर बार की भांति इस बार भी राज्य सरकार मौसम विभाग की चेतावनी के भरोसे रही। आपको बता दें कि बरसों से यह बात साबित हो चुकी है कि मौसम विभाग की चेतावनी हमेशा फैल ही रही है। जोधपुर संभाग बाढ़ की चपेट में है, लेकिन जिस दिन भारी बारिश शुरू हो चुकी थी, उस दिन भी मौसम विभाग ने जोधपुर संभाग में केवल समान्य बारिश होने की चेतावनी दी थी। इसके चलते राज्य सरकार व जिला प्रशासन ने समय रहते कोई इंतजामात नहीं किए। नतीजा ये हुआ कि राहत व बचाव कार्य भी समय पर नहीं हो पाए। आखिर सरकार को सेना बुलानी पड़ी।
 
वायु सेना के विमान तक वापस लौटे
 
सबसे ज्यादा प्रभावित जालोर जिले में बाढ़ ने अपना घर बना लिया। बरसात ने जिले में घेर घेर का कहर बरपाया। काले और घने बादलों ने पूरे जिले में अंधेरा कायम रखा। बचाव के लिए आए हेलिकॉप्टर भी जिले के गांवों में राहत नहीं पहुंचा पाए। यहां पर खतरनाक मौसम के चलते सेना के हेलिकॉप्टर भी वापस लौट गए। आसमान से बरसे कहर से बचने के लिए लोगों के पास भगवान से दुआएं करने के अलावा कोई चारा नहीं बचा।
 
मंत्रियों को सुननी पड़ी खरी खरी
 
दो दिन तक बाढ़ में घिरे लोगों तक समय पर राहत नहीं पहुंच पाई। कई जगह लोग 24 घंटे तक खाना खाए बगैर रहे, लेकिन सरकार की ओर से कोई मदद नहीं पहुंच पाई। उसके बाद तीसरे दिन मंत्री जयपुर से रवाना हुए। मौके पर पहुंचने पर गुस्साए लोगों ने मंत्रियों को खरी खरी सुनाई। पंचायती राज मंत्री राजेंद्र राठौड़ को गांवों में भारी विरोध का सामना करना पड़ा है।
 
आज बारिश में कुछ राहत, लेकिन पानी नहीं उतर रहा
 
बाढ़ से प्रभावित जिलों में आज बारिश ने कुछ राहत प्रदान की है, लेकिन गांवों में भरा पानी नहीं उतर रहा है। लोगों के घर पानी में डूबे हुए हैं। अकेले जालोर जिले में ही करीब एक दर्जन गांव खाली पड़े हैं, जहां पर केवल पानी का राज है। इसके अलावा सिरोही और पानी में भी कुछ गांव जलमग्न हैं। यहां पर सेना पानी को गांव से निकालने के लिए प्रयासरत है। सड़के टूटने के कारण पानी में डूबे हुए गांवों में पहुंचने में दिक्कत हो रही है।
 
चेतावनी जयपुर में दी, बाढ़ जोधपुर में आया
 
मौसम विभाग की सटीकता का आलम देखिए, बाढ़ और भारी बारिश की चेतावनी जयपुर संभाग में जारी की गई थी। लेकिन जयपुर में एक दिन सामान्य बारिश हुई और जोधपुर संभाग में बाढ़ आ गया, जबकि जोधपुर में तो सामान्य बारिश का अलर्ट था। मौसम विभाग की गलत जानकारी के चलते जहां लोगों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। समय पर सही सूचना नहीं देने के कारण मौसम विभाग की कार्यशैली पर भी सवाल उठने लगे हैं।

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