इससे पहले न्यायाधिकरण ने दिल्ली में 15 साल से पुराने वाहनों पर रोक का आदेश पारित किया था। जनवरी में दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने अभियान चलाकर 15 वर्ष से पुराने कई वाहनों को जब्त भी किया था और दिल्ली परिवहन विभाग ने पुराने वाहनों का री रजिस्ट्रेशन करना बंद कर दिया था।
मगर बाद में न्यायाधिकरण के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने वाली याचिका पर अपना पक्ष रखते हुए केंद्र सरकार ने हलफनामा दिया था कि वह छोटे निजी वाहनों की आयुसीमा 15 वर्ष तय करने के पक्ष में नहीं है। वहां सरकार ने यह भी कहा था कि दिल्ली में प्रदूषण के स्तर को सुधारने के लिए यह शॉर्टकट रास्ता है। सरकार इसके बदले कार्बन उत्सर्जन नियमों को और आधुनिक करने तथा पुराने वाहनों की फिटनेस जांच की प्रक्रिया को और सख्त बनाने की पक्षधर है। केंद्र सरकार के इस रुख को देखते हुए डीजल वाहनों के बारे में हरित न्यायाधिकरण के मंगलवार के फैसले के लागू हो पाने में भी संशय ही लग रहा है। खासकर यह देखते हुए कि दिल्ली में ज्यादातर व्यावसायिक वाहन पहले ही सीएनजी ईंधन में बदल चुके हैं, अब जो डीजल वाहन चल रहे हैं उसमें या तो बड़े ट्रक हैं या फिर डीजल कारें। पेट्रोल कारों पर सरकार के रुख को देखते हुए ऐसा लगता नहीं कि वह आम लोगों की पुरानी डीजल कारों पर प्रतिबंध लगाने के पक्ष में खड़ी होगी।
दिल्ली में वायु प्रदूषण के लिए डीजल को प्रमुख स्रोत बताते हुए न्यायाधिकरण ने कहा कि हालात इतने खतरनाक हैं कि लोगों को स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने के कारण दिल्ली छोड़ने की सलाह दी गई है। न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली एनजीटी की एक पीठ ने कहा, ब्राजील, चीन, डेनमार्क जैसे कई देशों ने डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लगा दिया है या उस पर प्रतिबंध लगाने की प्रक्रिया में हैं या उनसे मुक्ति पाने की प्रक्रिया में हैं और इन वाहनों पर कठोर कर लगा रहे हैं। पीठ ने कहा, हमने पहले ही गौर किया है कि इस बात को सुनिश्चित करने के लिए कुछ कठोर कदम उठाए जाने की आवश्यकता है कि दिल्ली निवासी अपनी हर सांस के साथ खराब स्वास्थ्य के करीब नहीं पहुंचें। इसलिए हम निर्देश देते हैं कि सभी डीजल वाहन (भारी हों या हल्के) जो 10 साल पुराने हैं उन्हें दिल्ली और एनसीआर की सड़कों पर चलने की इजाजत नहीं होगी। न्यायाधिकरण ने दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग और अन्य संबद्ध अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे इस तरह के सभी वाहनों का व्यापक डाटा तैयार करें जो 10 साल या उससे अधिक पुराने हैं। न्यायाधिकरण ने राष्ट्रीय राजधानी में हवा की बेहतर गुणवत्ता के लिए पिछले साल 26 नवंबर, 28 नवंबर और चार दिसंबर को दिए गए आदेशों का पालन नहीं करने के लिए अधिकारियों की आलोचना की। न्यायाधिकरण का निर्देश वर्धमान कौशिक की याचिका पर सुनवाई के दौरान आया। उन्होंने दावा किया कि दिल्ली में कणिकाओं के स्तर में कई गुना वृद्धि हुई है।