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सरकार से जवाब मांग रही एक यात्रा

‘जवाबदेही यात्रा जवाब पूछे रे, बोलों क्यूं नि रे?’ यह बोल उस गीत के हैं जो एक अनूठी यात्रा के तहत गाया जा रहा है। इन दिनों राजस्थान में सूचना एवं रोजगार का अधिकार अभियान के बैनर तले यह यात्रा निकाली जा रही है। गीतों के जरिये सरकार से सवाल किए जा रहे हैं। जवाबदेही मांगी जा रही है। इस यात्रा का सरकार से सवाल है कि वह बनी तो जनता के लिए है लेकिन सही तरीके से काम नहीं होने की वजह से जवाबदेही तय क्यूं नहीं करती।
सरकार से जवाब मांग रही एक यात्रा

 जवाबदेही यात्रा को एक दिसंबर 2015 को जयपुर से हरी झंडी मिली थी और ये राजस्थान के हर जिले में जा रही है। सौ दिन तक चलने वाली इस यात्रा में जिले के तीन ब्लॉक, तीन पंचायत और जिला मुख्यालय पर सभा और रैलियां की जा रही हैं। जिसमें नुक्कड़ नाटक, गाने और शिकायत कैंप भी लग रहे है।  

इस यात्रा का खास मकसद है। जिसमें गरीबों और वंचितों के प्रति रवैये को बदलने और सरकारी कर्मचारियों की अपने काम के प्रति जवाबदेही तय करने के लिए एक जवाबदेही कानून की मांग कर रही है।

जवाबदेही कानून क्या है ?

इस कानून के अनुसार सरकारी कर्मचारियों की दक्षता में सुधार होना चाहिए। खासकर जब सरकारी कर्मचारियों के वेतनभत्ते बढ़ चुके हैं। अगर कोई कर्मचारी अपना काम ठीक से नहीं करता है तो उसे दंडित किया जाए।  इस यात्रा में अनेकों प्रकार के लोग हैं जैसे की कलाकार, गायक, एक्टिविस्ट, विद्यार्थी और शिक्षाविद्।  इस तहत अनेक मुद्दे निकल कर आ रहे हैं। जिसमें सामाजिक सुरक्षा, पेंशन का नियमित वितरण न होना, खाद्य सुरक्षा से बड़ी मात्रा में लोगों को वंचित रखना, आदिवासियों के अधिकारों का हनन, गांवों में भौतिक सुविधाओं की अनदेखी, महिला अधिकारों की सुरक्षा, न्यूनतम मजदूरी एवं नरेगा वेतन में अनियमितता अन्य।  

अभी तक यात्रा 40 दिन में 12 जिले पूरी कर चुकी है। चार हजार से अधिक शिकायतें आ चुकी हैं। सभी शिकायतों को ऑनलाइन कर कलेक्टर को दिया जा रहा है। 

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