मुंबई के घाटकोपर, दादर, लालबाग और भांडुप सहित समूचे शहर में एक ओर जहां जन्माष्टमी का पावन पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा था। वहीं, इस बीच पालघर और ऐरोली में मानव पिरामिड बनाने के दौरान हुई दुर्घटना में दो गोविंदाओं की मौत हो गई। बता दें कि जन्माष्टमी के पावन पर्व पर दही हांडी तोड़ने के लिए समूचे महाराष्ट्र में गोविंदाओं की टोलियों के बीच प्रतिस्पर्धा रहती है।
पीटीआई के मुताबिक, दही हांडी समारोह के दौरान पालघर में 21 वर्षीय गोविंदा रोहन किनी की मिरगी का दौरा पड़ने से मौत हो गई जबकि एरोली में, 34 वर्षीय गोविंदा की मौत बिजली के तार की चपेट में आने से हुई। नगर निकाय अधिकारियों के मुताबिक, दही हांडी समारोह के दौरान मुंबई में करीब 117 गोविंदा घायल हुए हैं। अधिकारियों ने बताया कि घायलों में एक की हालत गंभीर है और उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है जबकि अन्य लोगों का प्राथमिक उपचार करने के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि रात 9 बजे तक शहर के विभिन्न स्थानों पर दहीहंडी समारोह मनाते समय 117 गोविंदाओं को चोट लगने की सूचना मिली थी।
पुलिस ने बताया कि पालघर में 21 साल के रोहन किनी की मिरगी का दौरा पड़ने से मौत हो गई। हांडी तोड़ने के बाद उसे मानव पिरामिड से नीचे उतारा गया, लेकिन इसके तुरंत बाद उसे मिरगी का दौरा पड़ा। अस्पताल ले जाते समय शाम करीब साढ़े छह बजे उसने दम तोड़ दिया।
वहीं, ऐरोली में जयेश सरले नामक गोविंदा की मौत हुई। उसकी मौत बिजली के तार की चपेट में आने से हुई। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के लागू होने, आयकर की चिंता और नोटबंदी के चलते पिछले साल की तुलना में इस साल दही हांडी समारोह कुछ फीका रहा।
गौरतलब है कि एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान बंबई उच्च न्यायालय को राज्य सरकार ने यह भरोसा दिलाया था कि यह सुनिश्चित करेगी कि 14 साल से कम उम्र के बच्चे दही हांडी पिरामिड बनाने में भाग नहीं लेंगे