कर्नाटक में 22 हजार से ज्यादा प्राइवेट डॉक्टर गुरुवार को अनिश्चितालीन हड़ताल पर चले गए। इससे पूरे राज्य में चिकित्सा व्यवस्था चरमरा गई है। हड़ताल के कारण करीब 6000 निजी अस्पताल, नर्सिंग होम और क्लीनिक की ओपीडी सेवाएं बंद है।
डॉक्टर कर्नाटक निजी चिकित्सीय प्रतिष्ठान अधिनियम, 2007 में संशोधन का विरोध कर रहे हैं। इसके अनुसार चिकित्सीय लापरवाही के लिए अस्पताल जवाबदेह होगें। संशोधन के जरिए कई अन्य चीजों के अलावा चिकित्सीय लापरवाही के लिए छह महीने से लेकर तीन साल तक की जेल की सजा और भारी जुर्माने का प्रावधान जोड़ा जाएगा।
प्राइवेट हॉस्पिटल एंड नर्सिंग होम एसोसिएशन के अध्यक्ष सी जयन्ना ने बताया कि जब तक सरकार उनकी मांग नहीं मानती हड़ताल जारी रहेगा। हालांकि इस दौरान आपातकालीन सेवाएं, चुनिंदा ऑपरेशन, डायलिसिस और प्रसव संबंधी सेवाएं मरीजों को दी जाएंगी। एसोसिएशन ने कहा है कि सरकार इस बिल को हड़बड़ी में पारित कराना चाहती है। डॉक्टर इसे कतई स्वीकार नहीं करेंगे और अपनी लड़ाई अंत तक जारी रखेंगे।
इस बीच, हाई कोर्ट ने कहा है कि यदि राज्य सरकार और डॉक्टर मिलकर इस समस्या का समाधान निकालने में विफल रहे तो वह हस्तक्षेप करेगा। एएनआइ ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के हवाले से बताया है कि सरकार हड़ताली डॉक्टरों से बातचीत कर इस समस्या का समाधान निकालेगी। इससे पहले बिल के विरोध में तीन नवंबर को प्रदेश के करीब पचास हजार डॉक्टर चौबीस घंटे के लिए हड़ताल पर चले गए थे।