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30 हजार पंजाबी NRI छोड़ना चाहते हैं अपनी पत्नियों का साथ, कानून बनाने की उठी मांग

पंजाब मूल के 30 हजार से अधिक एनआरआई पति अपनी पत्नियों का साथ छोड़ना चाहते हैं। पंजाब राज्य महिला आयोग ने...
30 हजार पंजाबी NRI छोड़ना चाहते हैं अपनी पत्नियों का साथ, कानून बनाने की उठी मांग

पंजाब मूल के 30 हजार से अधिक एनआरआई पति अपनी पत्नियों का साथ छोड़ना चाहते हैं। पंजाब राज्य महिला आयोग ने केंद्र से इन एनआरआई के बरसों से लंबित 30 हजार से अधिक मामलों को जल्द निपटाने में मदद मांगी है।

महिला आयोग की चेयरपर्सन मनीषा गुलाटी ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से नई दिल्ली में मुलाकात की और इस तरह की महिलाओं की दुर्दशा के मुद्दे को उठाया, जो एनआरआई दुल्हों के धोखाधड़ी व शोषण की शिकार हैं। 

मंत्री ने जरूरी कार्रवाई का दिया भरोसा 

गुलाटी ने सुषमा स्वराज से मांग कि एनआरआई पंजाबी दूल्हों द्वारा सताई गई महिलाओं के मामले समयबद्ध निपटाए जाएं।उन्होंने केंद्रीय मंत्री से कहा कि अकेले पंजाब में ऐसे 30 हजार केस अदालतों में लटक रहे हैं, जिनमें महिलाओं को अपने प्रवासी पतियों से इंसाफ की दरकार है। मुलाकात के बाद गुलाटी ने बताया कि मंत्री ने उन्हें जरूरी कार्रवाई का भरोसा दिया। 

सख्त कानून बनाने की मांग

आयोग की चेयरपर्सन ने मांग उठाई कि ऐसे मामलों के जल्द निपटारे के लिए मदद की जाए और सख्त कानून बनाए जाएं। उन्होंने कहा कि जिन मामलों में भारत की प्राथमिक जांच में प्रवासी भारतीय मुलजि़म पाया जाता है तो उस केस में मुलजि़म की तुरंत हवालगी के लिए कोशिशें की जाएं और उनके पासपोर्ट तब तक जब्त किए जाएं, जब तक वह अपनी छोड़ी पत्नियों को उपयुक्त मुआवजा नहीं दे देते।

आयोग की चेयरपर्सन ने सुष्मा स्वराज से मांग उठाई

इस फैसले से जहां पीड़ित महिलाओं को इंसाफ मिलेगा, वहीं अन्य प्रवासी भारतीय दूल्हों को नसीहत मिलेगी कि वे ऐसा काम न करें। चेयरपर्सन ने सुष्मा स्वराज से मांग उठाई कि वह इस मामले में दखल देकर उचित कार्रवाई करें और सख्त कानून बनाने की कोशिश करें। उन्होंने कहा कि विदेश मंत्री ने इस मामले में उचित कार्रवाई का भरोसा दिया है।

गौरतलब है कि पंजाब में हजारों अनिवासी भारतीय हैं, जो दूसरे देशों में बसे हैं। इसमें खासतौर से अमेरिका, ब्रिटेन व कनाडा व ऑस्ट्रेलिया जैसे देश शामिल हैं। आयोग की प्रमुख ने कहा, मौजूदा व पूर्ववर्ती सरकारों ने महिलाओं को एनआरआई दुल्हों के शोषण से सुरक्षा देने के लिए कई कानून पारित किए, लेकिन यह किसी तरह से कम नहीं हुआ है।

 

 

 

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