पश्चिम बंगाल में लोकसभा के बाद भी राजनैतिक घटनाक्रम थमने का नाम नहीं ले रहा है। हाल ही में रवीन्द्र भारती विश्वविद्यालय के चार विभागाध्यक्षों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। चारों का आरोप है कि उन पर जाति को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की जा रही है।
तृणमूल कांग्रेस छात्र परिषद पर है आरोप
रवीन्द्र भारती विश्वविद्यालय के चार विभागाध्यक्षों ने तृणमूल कांग्रेस छात्र परिषद के कुछ सदस्यों द्वारा अपमानजनक जातिगत टिप्पणी से परेशान होकर अपना इस्तीफा दे दिया है और प्रदेश के शिक्षा मंत्री से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की है।
मामले को तूल पकड़ता देख ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस की छात्र परिषद ने ऐसे किसी भी आरोप को खारिज किया है। जबकि विश्वविद्यालय के कुलपति सब्यसाची बसु रायचौधरी को इस्तीफा सौंपने के बाद चारों विभागाध्यक्षों का कहना है कि नॉन टीचिंग स्टाफ में से भी कुछ लोग उनके साथ अभद्रता करते रहे हैं।
छात्र परिषद का जवाब प्रोफेसर नहीं लेते नियमित कक्षाएं
टीएमसीपी सदस्यों का कहना है कि उन पर ये आरोप बिलकुल निराधार हैं। इस विवाद पर उनका कहना है कि ये सभी प्रोफेसर नियमित रूप से अपनी क्लास नहीं लेते हैं। इस बीच राज्य के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी रवीन्द्र भारती विश्वविद्यालय के कुलपति से मिले और उन्हें कहा कि वे इस मामले को देखें।
राज्य शिक्षामंत्री ने किया हस्तक्षेप
विश्वविद्यालय के कुलपित से मुलाकात के बाद चटर्जी ने कहा वे यहां पर ऐसी उम्मीद नहीं करते क्योंकि रवीन्द्रनाथ टैगोर के नाम पर रखा गया है और इसकी गरिमा महत्वपूर्ण है। इस तरह की घटनाएं संस्थान की छवि को धूमिल करती हैं। यहां यह सब नहीं होना चाहिए। हम इस मामले को देख रहे हैं और जो भी दोषी पाया जाएगा उसका बक्शा नहीं जाएगा। रबीन्द्र भारती विश्वविद्यालय की स्थापना रवीन्द्रनाथ टैगोर के घर से शुरू हुई थी।