हालांकि राज्य में इस दौरान युवकों को कट्टर बनाए जाने की घटनायें सामने आई हैं खासतौर पर आईएसआईएस के उभार के बाद, मगर सुरक्षा बल उग्रवाद और आतंकवाद का मुकाबला करने में प्रभावी रहे हैं। सरकारी आंकडों के अनुसार, उग्रवाद रोधी अभियानों में शहीद होने वाले सुरक्षा कर्मियों की संख्या में गिरवाट आई है। इन अभियानों में हिस्सा लेते हुए 2014 में जहां 51 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए थे वहीं 2015 में यह संख्या घटकर 41 हो गया। दूसरी तरफ, इन अभियानों में 2014 में 110 उग्रवादी मारे गए थे जिसमें 2015 के दौरान आंशिक बढ़ोतरी हुई और यह संख्या 113 हो गई है।
पिछले तीन साल में हताहत होने वाले सुरक्षा कर्मियों की संख्या घटी है। 2013 में 61 सुरक्षाकर्मी मारे गए थे। सुरक्षा बलों की कार्रवाई में मारे जाने वाले उग्रवादियों की संख्या में 2012 से ही बढ़ोतरी हो रही है, तब 84 उग्रवादी ढेर किए गए थे। वर्ष 2013 में सुरक्षा बलों ने 100 उग्रवादियों को मार गिराया था।
2015 में सुरक्षा बलों को उग्रवादी कमांडर बुरहान वानी की तरफ से नई चुनौती का सामना करना पड़ा। वानी घाटी में हिज्बुल मजाहिदीन के युवा चेहरे के तौर पर उभरा। वह 11 सदस्यों एक समूह के साथ सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर नजर आया।