झारखंड खासकर गुमला में डायन बिहसाही के नाम पर हत्या का सिलसिला थम नहीं रहा। 70 साल का गुमला का रंथू मुंडा भी इसका शिकार हो गया। गुमला के रायडीह थाना के परसा नवाटोली गांव की घटना है। रंथू अपने परिवार के साथ घर में सो रहा था। रात नौ बजे के बाद करीब आधा दर्जन लोग आये। पड़ोसियों के मकानों की कुंडी बाहर से लगा दी कि मदद में कोई न आ सके। रंथू के घर के दरवाजे को तोड़ा और खींचकर बाहर ले आये। पीछे से पत्नी जमनी भी आई। लोगों की मंशा देख हाथ जोड़कर जान बख्श देने के लिए गिड़गिड़ाती रही मगर किसी का मन नहीं डोला। उसके सामने ही पत्थरों से कूचकर और टांगी से काटकर उसकी हत्या कर दी।
दरअसल गांव की ही संगीता जो गर्भवती थी की होली के दिन प्रसव के दौरान मौत हो गई थी। इसके लिए गांव के ओझा के रूप में ख्यात रंथू मुंडा को जिम्मेदार ठहराया गया। बस अंधविश्वास में डूबे संगीता के दो भाई कुछ और लोगों के साथ रंथू के घर पहुंचे और सोये हुए रंथू को बेरहमी से मार डाला। पुलिस ने इस सिलसिले में पांच लोगों को गिरफ्तार कर लिया है और हत्या में प्रयुक्त टांगी को भी कुएं से बरामद कर लिया है।
झारखंड के आदिवासी क्षेत्रों में डायन बिसाही और ओझा गुनी को लेकर अंध्विश्वास ज्यादा ही है। किसी के बीमार पड़ने पर भी लोग डॉक्टर के पास जाने के बाद ओझा के पास जाते हैं, झाड़फूंक के लिए। किसी के परिवार में कोई असमय गुजर जाये, लगातार बीमार रहे, फसल खराब हो जाये, तालाब या कुएं के पानी सूख जाये, पशुधन का नुकसान हो जाये तो लोग अमूमन इसे डायन बिसाही, ओझा गुनी का करतूत मान बैठते हैं। नतीजा बेरहमी से पिटाई और हत्या के रूप में सामने आता है। कई बार जमीन पर कब्जा, जमीन विवाद इसके पीछे जुड़ा होता है।
इसी साल बीते तीन माह के भीतर ही झारखंड के विभिन्न जिलों में कोई 16 लोगों की डायन बिसाही के नाम पर हत्या कर दी गई है। डायन बिसाही के नाम पर उत्पीड़न को ले बीते कोई छह सालों मे 4556 मामले दर्ज किये गये जिसमें 310 हत्या के थे। बीते फरवरी के अंत में ही गुमला के कामडारा में पंचायत की सहमति से एक ही परिवार के पांच लोगों की हत्या कर दी गई थी। हाई कोर्ट ने भी इस पर सरकार के खिलाफ तल्ख टिप्पणी की। पिछले सप्ताह भी गुमला के चैनपुर में 48 साल की उर्मिला की डायन बिसाही के नाम पर बेरहमी से काटकर हत्या कर दी गई थी। विष्णु मुंडा की पत्नी की पीलिया से मौत हुई तो इल्जाम उर्मिला पर गया था।