स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत शौचालय निर्माण सहित अन्य विभागीय योजनाओं की गहन समीक्षा के बाद शासन ने बड़ी कार्रवाई की है। तीन जिलों के जिला पंचायतराज अधिकारियों को विशेष प्रतिकूल प्रविष्टि, आठ जिलों के जिला पंचायतराज अधिकारियों और 11 जिलों के जिला कंसल्टेंटों से स्पष्टीकरण मांगा गया हे।
प्रदेश को 30 सितंबर तक खुले से शौच मुक्त (ओडीएफ) बनाने के लिए अभियान चलाया जा रहा है। पंचायतीराज राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) भूपेंद्र सिंह चौधरी ने हाल ही में स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) योजना सहित विभागीय योजना की समीक्षा बैठक की थी। इसमें शौचालय निर्माण में खराब प्रगति वाले 10 जिलों के जिला पंचायतराज अधिकारी, जिला समन्वयक और उप निदेशक पंचायत से स्पष्टीकरण तलब किया गया था। इसके बाद सीतापुर, जौनपुर, आजमगढ़, बस्ती, हरदोई, बाराबंकी, इलाहाबाद, सुल्तानपुर, रायबरेली, बलिया और गोंडा की प्रगति खराब होने पर सीतापुर के जिला पंचायतराज अधिकारी तुलसीराम, जौनपुर के जिला पंचायतराज अधिकारी सुधीर श्रीवास्तव, आजमगढ़ के जिला पंचायतराज अधिकारी जीतेंद्र मिश्रा को विशेष प्रतिकूल प्रविष्टि और जिला पंचायतराज अधिकारी बस्ती शिवशंकर सिंह, हरदोई के अनिल कुमार सिंह, बाराबंकी के अनिल कुमार, इलाहाबाद के आरपी मिश्रा, सुल्तानपुर के सर्वेश कुमार पांडेय, रायबरेली के चंद्र किशोर वर्मा, बलिया के अभय कुमार यादव, गोंडा के घनश्याम सागर और इन्हीं 11 जनपदों के जिला कंसल्टेंटों से स्पष्टीकरण मांगा गया है।
पंचायती राज निदेशक आकाश दीप ने बताया कि जनपदों के जिला पंचायतराज अधिकारी और जिला कंसल्टेंटों से एक सप्ताह में स्पष्टीकरण उपलबध कराने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) योजना बहुत ही महत्वपूर्ण योजना है। इस योजना की समीक्षा प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री द्वारा बहुत ही गंभीरता से की जा रही है। इस योजना के तहत लापरवाही करने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।