प्रदेश कांग्रेस प्रमुख अशोक चव्हाण ने कहा कि वह फैसले को सुनने के बाद ही प्रतिक्रिया करेंगे। उन्होंने इस घोटाले को लेकर संदेह के दायरे में आने पर साल 2010 में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। चव्हाण ने पीटीआई भाषा को बताया, हमने अदालती आदेश को नहीं देखा है। वास्तविक फैसले को देखे बगैर इस पर टिप्पणी करना मेरे लिए उपुयक्त नहीं होगा।
अपना प्रहार तेज करते हुए मुंबई भाजपा इकाई के प्रमुख आशीष शेलार ने मांग की कि उनकी पार्टी नीत राज्य सरकार दोषियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करे। शेलार ने यहां संवाददाताओं को बताया, इस मामले का असर दूर-दूर तक हुआ है जिसमें बड़े पैमाने पर की गई धोखाधड़ी भी शामिल है। उन नेताओं की भूमिका की जांच किए जाने की जरूरत है जिन्होंने अपने रिश्तेदारों को विवादास्पद आदर्श सोसायटी में फ्लैट दिलाने में मदद की।
उन्होंने कहा कि इस घोटाले में कुछ लोगों को फायदा हुआ है और इसलिए हम चाहते हैं कि न केवल नए सिरे से जांच हो बल्कि एक एफआईआर दर्ज की जाए। वहीं, कांग्रेस प्रवक्ता सचिन सावंत ने कहा कि सत्तारूढ़ पार्टी को यह जवाब देना चाहिए कि इसने रेल मंत्री सुरेश प्रभु और भाजपा के राज्यसभा सदस्य अजय संचेती के रिश्तेदारों के खिलाफ क्या कार्रवाई की है जिनके इस सोसाइटी में फ्लैट हैं।
गौरतलब है कि बंबई उच्च न्यायालय ने कल दिए गए अपने आदेश में मुंबई के बीचों-बीच स्थित 31 मंजिला आदर्श अपार्टमेंट को गिराने को कहा था। अदालत ने इमारत को गैरकानूनी तरीके से निर्मित बताने के साथ ही सत्ता के दुरुपयोग के लिए नेताओं और नौकरशाहों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई करने को कहा था। वर्ष 2014 में राज्य में भाजपा की अगुवाई वाली सरकार बनने के बाद मौजूदा राज्यपाल सीएच विद्यासागर राव ने सीबीआई को दोषियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी प्रदान कर दी थी।