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हाईकोर्ट के फैसले के बाद भूमाता ब्रिगेड शिंगणापुर के लिए रवाना

बंबई उच्च न्यायालय के आदेश से उत्साहित होकर तृप्ति देसाई के नेतृत्व में भूमाता रणरागिनी ब्रिगेड की दो दर्जन से अधिक कार्यकर्ता आज शनि शिंगणापुर मंदिर के लिए रवाना हुईं। अहमदनगर जिले में स्थित शनि शिंगणापुर मंदिर की परंपरा महिलाओं को तीर्थस्थल के पवित्र चबूतरे पर प्रवेश से रोकती है।
हाईकोर्ट के फैसले के बाद भूमाता ब्रिगेड शिंगणापुर के लिए रवाना

महिलाओं के मंदिरों में प्रवेश को उनका मौलिक अधिकार बताने और महाराष्ट्र सरकार को इसकी रक्षा करने के बंबई हाईकोर्ट के कल के आदेश के बाद आज तृप्ति देसाई के नेतत्व में भूमाता रणरागिनी ब्रिगेड की कई कार्यकर्ता शनि शिंगणापुर मंदिर जाने के लिए रवाना हो गई हैं। अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि पूजा स्थलों पर जाना महिलाओं का मौलिक अधिकार है। न्यायालय के आदेश को लैंगिक भेदभाव के खिलाफ महिलाओं की जीत करार देते हुए देसाई ने कल घोषणा की थी कि वह और शहर आधारित महिला संगठन से जुड़ी उनकी अनुयायी प्राचीन मंदिर जाएंगी। करीब 25 कार्यकर्ता दो-तीन छोटे वाहनों में सवार होकर आज सुबह मंदिर के लिए रवाना हो गईं।

 

तृप्ति देसाई ने पुणे के लिए रवाना होने से पहले कहा, उच्च न्यायालय द्वारा महिलाओं के पक्ष में फैसला दिए जाने के बाद हम मंदिर के पवित्र चबूतरे पर पहुंचने को प्रतिबद्ध हैं और हमें विश्वास है कि पुलिस हमें रास्ते में नहीं रोकेगी। यह कहे जाने पर कि यदि मंदिर ट्रस्ट लैंगिकता पर विचार किए बिना किसी भी व्यक्ति को मंदिर के पवित्र चबूतरे पर प्रवेश करने की अनुमति नहीं दे तो तब यह कानून (महाराष्ट हिन्दू पूजा स्थल (प्रवेश अधिकार) कानून 1956) और इसके प्रावधान कोई सहायता नहीं कर पाएंगे, देसाई ने कहा, शनि शिंगणापुर के मामले में मंदिर ट्रस्ट चबूतरे पर पुरूषों को अनुमति देता रहा है और हमारा आंदोलन शुरू होने के बाद ही इसने पुरूषों पर प्रतिबंध लगाए। इसलिए हमें नहीं रोका जाना चाहिए।

 

देसाई ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस से आग्रह किया कि वह स्थानीय प्रशासन और पुलिस को निर्देश दें कि वह मंदिर में शांतिपूर्ण ढंग से उनके प्रवेश और भगवान शनि की पूजा करने देने में उनका सहयोग करें। इस बीच, मंदिर में 400 साल पुरानी परंपरा को कायम रखने के लिए गठित कार्य समिति के सदस्य उच्च न्यायालय के आदेश को उच्चतम उन्यायालय में चुनौती देने पर विचार कर रहे हैं। कार्य समिति के सदस्य शंभाजी दाहतोंदे ने कहा, हम उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ जल्द ही उच्चतम न्यायालय जाएंगे क्योंकि यह श्रद्धालुओं के विश्वास की रक्षा करने का मामला है।

 

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