गुरुवार को नई दिल्ली में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात के बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि इस मामले की जांच को लेकर उनकी सरकार कानूनी राय लेगी। यानी, इस कथित घोटाले की सीबीआई जांंच होगी या नहीं, यह अभी स्पष्ट नहीं है।
इससे पहले नितिन गडकरी ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा था कि सीबीआई जांच से अधिकारियों के मनोबल और कामकाज पर बुरा असर पड़ सकता है। गडकरी ने उत्तराखंड सरकार को यहां तक चेताया था कि मंत्रालय को राज्य में परियोजनाएं शुरू करने के बारे में नए सिरे से विचार करना पड़ सकता है। माना जा रहा है कि गडकरी के रुख को देखते हुए ही इस मामले पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के सुर बदल गए हैं और अब वे सीबीआई जांच के बजाय कानूनी राय लेने की बात कह रहे हैं।
कांग्रेस सरकार के समय भाजपा ने हाईवे घोटाले का मुद्दा पूरे जोरशोर से उठाया था। राज्य की सत्ता संभालने के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी तत्परता दिखाते अपना वादा निभाया और सीबीआई जांच की घोषणा कर दी। लेकिन उत्तराखंड सरकार का यह रुख केंद्र सरकार के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को रास नहीं आ रहा है।
मंत्रालय से जुड़े सूत्रों का कहना है कि सीबीआई जांच को लेकर भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के अफसरों को काफी ऐतराज है। गुरुवार को गडकरी और त्रिवेंद्र रावत के बीच हुई बैठक में मौजूद एनएचएआई के चेयरमैन युद्धवीर सिंह मलिक ने पुलिस द्वारा उनके अफसरों को तंग किए जाने का मुद्दा भी उठाया। एनएचएआई के अधिकारियों का कहना है कि हाईवे के लिए भूमि अधिग्रहण राज्य सरकार और जिला प्रशासन का जिम्मा होता है। इस मामले में उन्हें बेवजह घसीटा जा रहा है।
क्या है मामला
साल 2011 से 2016 के दौरान उधमसिंह नगर में प्रस्तावित एनएच-74 के लिए कृषि भूमि का अधिग्रहण किया गया था। आरोप हैं कि मुआवजे की राशि बढ़ाने के लिए कृषि भूमि को गैर-कृषि भूमि दिखाकर अधिग्रहण किया गया। इससे चुनिंदा लोगों को कई गुना ज्यादा मुआवजा मिला। विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने कांग्रेस शासनकाल में हुए इस कथित घोटाले का मुद्दा खूब उछाला था। लेकिन अब इस घोटाले की जांच भाजपा की केंद्र और राज्य सरकार के बीच फंसता नजर आ रहा है।