पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ के बाद झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू भी सक्रिय हो गई हैं। वहीं भाजपा ने भी झारखंड की हेमंत सरकार को घेरने की अपनी गति तेज कर दी है।
कोलकाता में तो भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफिले पर हमले के बाद तो राज्यपाल ने पिछले माह विधिवत प्रेस कांफ्रेंस बुलाकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से कह दिया कि ' आप अगर संवैधानिक राह से भटकती हैं तो मेरे दायित्व की शुरुआत होती है '। दो दिन पहले भी अमित शाह से मुलाकात के बाद धनखड़ ने कहा कि सुरक्षा के लिहाज से प.बंगाल खतरे में है। यहां अलकायदा फैल रहा है, अवैध बम बनाने के काम चल रहे हैं। इस तरह की और भी बातें।
प.बंगाल में कम समय में विधानसभा का चुनाव है मगर झारखंड में चुनाव हुए एक साल गुजर चुके हैं। दुष्कर्म और अपराध को लेकर भाजपा ने आंदोलन तेज किया तो सोमवार झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को बुलाकर राज्य में अपराध व दुष्कर्म की घटनाओं पर चिंता जाहिर की वहीं झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डॉ रवि रंजन से दूरभाष पर बात की और अपराध व दुष्कर्म की घटना के त्वरित निबटारे के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट के गठन के लिए कहा। राजभवन ने दोनों के संबंध में प्रेस रिलीज भी जारी किया। इसके पहले भी दुमका में दुष्कर्म की बहुत चर्चित घटना के बाद राज्यपाल ने पुलिस महानिदेशक को तलब कर कार्रवाई के लिए कहा था।
इसी माह रांची के ओरमांझी में एक युवती की सिर कटी लाश मिली थी। इस मुद्दे को लेकर भाजपा अपना तेवर आक्राम किया। उसी दौरान विरोध प्रदर्शन के क्रम में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के काफिले पर हमले की घटना भी घटी। इसने विवाद का नया अध्याय शुरू किया। भाजपा इसे स्वत:स्फूर्त आक्रोश बताया और इस मामले में पकड़े गये लोगों में अनेक को निर्दोष बता उसके पक्ष में खड़ी हो गई। वहीं दुष्कर्म की घटनाओं को ले राजभवन के समक्ष धरना प्रदर्शन का सिलसिला शुरू हो गया। पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास, विधायक दल नेता बाबूलाल मरांडी आदि ने सीबीआइ से जांच की मांग शुरू कर दी। सिर कटी लाश मिलने को केंद्र में रखते हुए राज्य में महिलाओं के प्रति हो रहे अपराध को लेकर पूरी भाजपा इसमें लग गई। जिलों में भी प्रदर्शन हुए तो पांच दिनों तक राजभवन के समक्ष धरना में पार्टी के प्रदेश के तमाम बड़े नेता शामिल हुए। इसी मसले पर महिला मोर्चा का शिष्टमंडल दो बार राजभवन जाकर राज्यपाल से मिला। अब राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को बुलाकर बात की तो मुख्य न्यायाधीश से भी फोन से बात की। राज्यपाल की सक्रियता का लोग निहितार्थ तलाश रहे हैं। अपने-अपने नजरिये से देख रहे हैं। वैसे भाजपा हेमंत सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ रही। हेमंत सरकार के एक साल पूरे होने पर कोरोना के संकट के बावजूद सरकार ने अपनी उपलब्धियां गिनाईं तो भाजपा अपने पूर्व मंत्रियों के हवाले से रोज विभागवार विफलताएं गिनाने में जुटी है। हालांकि कोरोना संकट और आर्थिक तंगी के बावजूद हेमंत सरकार ने कई काम भी किये हैं। अच्छी नीतियां बनाई हैं। दुष्कर्म से संबंधित मामलों के त्वरित निबटारे के लिए हेमंत कैबिनेट ने इसी पखवाड़े 22 विशेष अदालतों के गठन की भी हाल ही मंजूरी दी है। अनेक मोर्चों पर केंद्र से टकराव के बीच भाजपा हेमंत सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ती। इस बीच राजभवन का नया ऐंगल सामने आ रहा है।