एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, मध्य प्रदेश में किसान आंदोलन के बाद कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन का नया बयान सामने आया है। कृषि मंत्री का कहना है कि किसानों की कर्ज माफी की कोई बात ही नहीं बनती। जब किसानों ने कर्ज ही नहीं लिया तो कैसी कर्जमाफी। उन्होंने कहा कर्जमाफी का मतलब मेहनती किसानों को सजा देना है, इसमें पैसा ना चुकाने वाले किसानों को फायदा मिलता है।
प्रदेश में अशांति के बीच कृषि मंत्री का इस तरह का बयान राज्य सरकार के लिए मुसीबत खड़ी कर सकता है। इस बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का भेल के दशहरा मैदान अनिश्चितकालीन अनशन शुरू हो गया है। इस दौरान सीएम सिर्फ नींबू पानी पीकर ही उपवास करेंगे।
अनशन के दौरान सीएम शिवराज सिंह ने कहा कि जब भी ओला, पाला या कोई संकट आया मैं सीएम हाउस में नहीं बैठा, खेतों तक गया, आपके बीच गया। उन्होंने कहा कि पिछले साल प्याज की कीमत गिरी, तो मांग नहीं आयी, फिर भी हमने 6 रूपये प्रति किलो की दर से ख़रीदा। सीएम ने कहा कि आज पूरे मप्र के किसान भाइयों से कह रहा हूँ। तुअर की दाल रु 5050 प्रति क्विंटल की दर से 10 जून से खरीदेंगे।
जब भी ओला, पाला या कोई संकट आया मैं सीएम हाउस में नहीं बैठा, खेतों तक गया, आपके बीच गया: सीएम @ChouhanShivraj #Shivraj4Peace pic.twitter.com/Xnxmtdojnu
— CMO Madhya Pradesh (@CMMadhyaPradesh) 10 June 2017
कृषि मंत्री के इस तरह के बयानों से पहले सीएम शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर कहा कि बातचीत से दो देशों के मसले हल हो जाते हैं। यह तो मेरे और आपके बीच हल हो जाने वाली समस्या है। आइये, बेहिचक अपनी बात कहिए।
बातचीत से दो देशों के मसले हल हो जाते हैं। यह तो मेरे और आपके बीच हल हो जाने वाली समस्या है। आइये, बेहिचक अपनी बात कहिए।
— ShivrajSingh Chouhan (@ChouhanShivraj) 10 June 2017
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा कि उन्होंने आगे लिखा, मेरा यह उपवास किसानों की लड़ाई में उनके साथ खड़े होने का प्रतीक है। यह उपवास हिंसा के विरुद्ध है। हिंसा से कोई सृजन नहीं होता है।
मेरा यह उपवास किसानों की लड़ाई में उनके साथ खड़े होने का प्रतीक है। यह उपवास हिंसा के विरुद्ध है। हिंसा से कोई सृजन नहीं होता है।
— ShivrajSingh Chouhan (@ChouhanShivraj) 10 June 2017
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश के कई हिस्सों में पिछले दस दिनों से किसान आंदोलन की आग फैली हुई है। मंगलवार को मंदसौर में हुई पुलिस फायरिंग में 6 किसानों की मौत हो गई थी। आंदोलन न सिर्फ मंदसौर में ही बल्कि मध्य प्रदेश के सीहोर, फंदा और कई जगहों में फैलता चला गया।