कांग्रेस की अगुवाई वाली पंजाब सरकार ने अपने सभी विभागों, बोर्डों और निगमों के अलावा सेमी-सरकारी संस्थानों को पंजाबी भाषा को अपने साइनबोर्ड पर लिखना अनिवार्य कर दिया है। शुक्रवार को लिए फैसले के मुताबकि अब राज्य के सभी सड़कों के मील के पत्थर पर भी पंजाबी भाषा (गुरुमुखी लिपि) लिखा जाएगा। हालांकि, राष्ट्रीय राजमार्गों और विभिन्न केंद्रीय सरकारी विभागों पर यह नियम लागू नहीं किए गए हैं।
अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर की घोषणा
पंजाब के उच्च शिक्षा और भाषा मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा ने अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर यह घोषणा की है। राज्य सरकार ने इस संबंध में पंजाब राज्य भाषा अधिनियम 1967 के अनुसार यह आदेश जारी किए हैं। उन्होंने कहा, “सभी सरकारी और अर्ध-सरकारी संस्थानों, बोर्डों, निगमों और सड़क के मील के पत्थर पर साइन बोर्ड गुरुमुखी लिपि में शीर्ष पर लिखे जाएंगे और यदि किसी अन्य भाषा में लिखने की आवश्यकता होती है, तो इसे छोटे फ़ॉन्ट में लिखा जाएगा।”
सरकार ने लिखे पत्र
इस बावत उच्च शिक्षा और भाषा विभाग के सचिव राहुल भंडारी ने सभी राज्य विभागों, डिवीजनल आयुक्तों और उपायुक्तों के अलावा जिला सत्र न्यायाधीशों, पंजाब विधानसभा सचिव, पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार, बोर्डों और निगमों के अध्यक्षों और सभी सेमी गर्वमेंट ऑरगनाइजेशनों को पत्र पत्र लिखकर नए नियमों को लागू करने के आदेश दिए हैं.
इसके साथ ही उच्च शिक्षा और भाषा मंत्री ने कहा कि निजी व्यापार, औद्योगिक और शैक्षिक संस्थानों में इस निर्णय को लागू करने के को लेकर कहा कि श्रम विभाग को इस संबंध में एक अलग अधिसूचना जारी करने के लिए लिखा है, जो जल्द ही जारी होने की उम्मीद हैं।