हिंसा प्रभावित मणिपुर में शांति बहाल करने के मिशन पर निकले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस महीने की शुरुआत में दंगे से बुरी तरह प्रभावित हुए इलाकों में से एक चुराचांदपुर का दौरा किया। गृह मंत्री मंगलवार को राजनीतिक एवं नागरिक संस्था के नेताओं तथा मैतेई और कुकी समुदाय के लोगों के साथ भी कई बैठकें करेंगे।
शाह सोमवार रात को विमान से इंफाल पहुंचे। उनके साथ गृह सचिव भी थे। शाह ने स्थिति का जायजा लेने के लिए सोमवार देर रात को मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह, उनके कुछ कैबिनेट सहयोगियों, खुफिया और सुरक्षा अधिकारियों के साथ बैठक की।
सूत्रों ने बताया कि बैठक में राहत संबंधी कई उपायों और पूर्वोत्तर के राज्य में आवश्यक वस्तुओं की कीमतें कम करने के लिए आपूर्ति बढ़ाने जैसे कदमों पर फैसला किया गया। राज्य में इस महीने की शुरुआत में जातीय हिंसा होने के बाद से यहां आवश्यक वस्तुओं की कीमतें बढ़ गई हैं।
सूत्रों ने कहा कि कुकी नेता और विधायक भी गृह मंत्री के साथ बातचीत में शामिल हो सकते हैं। इनमें से कई तो पड़ोसी राज्य जा चुके हैं लेकिन बातचीत में शामिल होने के लिए उनके आने की संभावना है।
कुकी समुदाय के लोग जिस जिले में रहते हैं उसके लिए वे अलग प्रशासन की मांग कर रहे हैं और ऐसा नहीं होने पर उन्होंने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की मांग की है।
मणिपुर करीब एक महीने से जातीय हिंसा से प्रभावित है और राज्य में इस दौरान झड़पों में इजाफा देखा गया है। कुछ हफ्तों की खामोशी के बाद रविवार को सुरक्षा बलों एवं उग्रवादियों के बीच गोलीबारी भी हुई।
अधिकारियों के अनुसार, तीन मई को यहां जातीय दंगे की शुरुआत के बाद से दंगों में मरने वालों की संख्या बढ़कर 80 हो गई है।
एक अधिकारी ने कहा कि सेना और अर्द्धसैनिक बलों के जवान इंफाल घाटी और आसपास के जिलों में तलाशी अभियान चला रहे हैं। उन्होंने कहा कि सेना के अभियान का उद्देश्य अवैध हथियारों के जखीरे को जब्त करना है।
मणिपुर में ‘जनजातीय एकता मार्च’ के बाद मणिपुर में पहली बार जातीय हिंसा भड़क उठी। अनुसूचित जाति (एसटी) के दर्जे की मांग को लेकर मैतेई समुदाय ने तीन मई को प्रदर्शन किया था जिसके बाद ‘जनजातीय एकता मार्च’ का आयोजन किया था।
आरक्षित वन भूमि से कूकी ग्रामीणों को बेदखल करने को लेकर तनाव के चलते, पहले भी हिंसा हुई थी, जिसके कारण कई छोटे-छोटे आंदोलन हुए थे।
मैतेई समुदाय मणिपुर की आबादी का करीब 53 प्रतिशत है और समुदाय के अधिकतर लोग इंफाल घाटी में रहते हैं।
नगा और कुकी समुदायों की संख्या कुल आबादी का 40 प्रतिशत है और वे पर्वतीय जिलों में रहते हैं।