किसी काम को छोटा नहीं समझना चाहिए। शायद हम सब ये कहावत बचपन से सुनते आ रहे हैं, लेकिन छोटे काम की शुरुआत करना भी काफी कठिन खेल होता है। यदि मध्य प्रदेश के अनुभव दुबे और उनके दोस्त आनंद नायक ने भी यह नहीं माना होता तो वे आज इस उच्च शिखऱ तक नहीं पहुंच पाते। आज हम आपकों दो दोस्तों की ऐसी कहानी बताने जा रहे हैं जिन्होंने अपने कॉलेज टाइम में देखे गए सपनों को सच बनाने के पीछे आईएएस की भी तैयारी छोड़ दी। एबीपी की रिपोर्ट के मुताबिक आज वह दोस्त अपने चाय के बिजनेस (चाय सुट्टा बार) से न सिर्फ करोड़ों रुपये कमा भी रहे हैं साथ ही उन्होंने कई लोगों को रोजगार भी दिया है।
अनुभव दुबे ने 8वीं कक्षा तक की पढ़ाई गांव से की है। इसके बाद वह आगे की पढ़ाई के लिए इंदौर आ गए जहां उनकी दोस्ती आनंद नायक के साथ हुई। दोनों ने आगे की पढ़ाई साथ की, लेकिन आनंद ने बाद में पढ़ाई छोड़ दी। इसके बाद आनंद अपने रिश्तेदारों से साथ मिलकर बिजनेश करने लगे। अनुभव के माता-पिता का सपना उन्हें आईएएस बनाना था जिसके कारण अनुभव तैयारी के लिए दिल्ली शिफ्ट हो गए।
माता-पिता का सपना लेकर अनुभव दिल्ली पहुंच गए। कुछ समय तक सब बढ़ियां चल रहा था। अनुभव अपनी पढ़ाई में व्यस्त थे। कुछ वक्त बाद उन्हें उनके दोस्त आनंद का फोन आया औऱ दोनों ने एक बिजनेस शुरू करने का प्लान बनाया। चाय के बिजनेस के बारे में अनुभव बताते है कि देश में पानी के बाद सबसे ज्यादा चाय पी जाती है। इसलिए उन्होंने चाय का बिजनेश शुरू करने का प्लान बनाया। इस बिजनेस में उन्हें ज्यादा लागत भी नहीं लगी और उन्होंने इसके लिए युवाओं को टारगेट किया।
शुरुआत में अनुभव औऱ आनंद ने इस चाय के बिजनेश में तीन लाख रुपय की लागत लगाई थी। इस बीच उन्हें कई बार चाय की दुकान खोलने के कारण लोगों के ताने भी सुनना पड़ा, लेकिन उन्होंने उस ओर कभी ध्यान नहीं दिया। आज दोनों दोस्त उस मुकाम तक पहुंच गए हैं कि उनके बिजनेस का टर्नओवर 100 करोड़ हो गया है। आज चाय सुट्टा बार की 165 से ज्यादा आउटलेट्स मौजूद हैं। उनके इस बिजनेस से 250 कुम्हार परिवारों का भी घर चल रहा है।