असम और मिजोरम के बीच सीमा विवाद के अचानक खूनी संघर्ष में तब्दील हो जाने से राज्य की 'संवैधानिक सीमा' की सुरक्षा कर रहे असम पुलिस के छह जवानों की मौत हो गई और एक पुलिस अधीक्षक समेत 60 अन्य घायल हो गए। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने मंगलवार को कहा कि राज्य सरकार सुरक्षा कड़ी करने के लिए कछार, करीमगंज और हाइलाकांडी में 3 कमांडो बटालियन को बढ़ाएगी। उन्होंने कहा कि इसके लिए 3,000 जवानों की भर्ती की जाएगी। कछार, करीमगंज और हाइलाकांडी की 164 किलोमीटर लंबी सीमा मिजोरम के तीन जिलों आइजोल, कोलासीब और मामित के साथ लगती हैं।
सोमवार को सीमा पर हुई हिंसक घटना के बाद आज सरमा ने कहा कि मिजोरम बॉर्डर पर तैनात असम पुलिस के सभी जवानों को एक महीने की अतिरिक्त सैलरी दी जाएगी। सोमवार को संघर्ष में असम के पांच पुलिसकर्मियों और एक आम नागरिक की मौत होने और 60 अन्य लोगों के घायल होने की घटना के एक दिन बाद हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि असम सरकार शहीद हुए जवानों के परिवार को 50 लाख रुपये का मुआवजा दी और परिवार के एक सदस्य को नौकरी दी जाएगी। उन्होंने कहा कि घायल लोगों को 1 लाख रुपये मदद के रूप में दी जाएगी।
सरमा ने सिलचर में प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि राज्य सरकार ‘इनरलाइन फॉरेस्ट रिजर्व’ को नष्ट होने और अतिक्रमण से बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाएगी। उन्होंने कहा कि सैटेलाइट से प्राप्त तस्वीरों से पता चला है कि सड़कों का निर्माण किया जा रहा है और झूम खेती के लिए जंगलों को साफ किया जा रहा है जिसकी अनुमति नहीं दी जा सकती है। उन्होंने कहा, ‘‘हम वनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।’’
उन्होंने कहा, 'मैं ज़मीन की एक इंच भी किसी को नहीं दे सकता, अगर कल संसद एक क़ानून बना दे कि बराक वैली को मिजोरम को दिया जाए, तो मुझे इसमें कोई आपत्ति नहीं है। परन्तु जब तक संसद यह फैसला नहीं लेती, मैं किसी भी व्यक्ति को असम की ज़मीन नहीं लेने दूंगा'।